यौन उत्पीडन के आरोपी आसाराम 11 साल के लंबे इंतजार के बाद 07 दिनों के लिए जेल से बाहर आएगा। राजस्थान हाईकोर्ट आसाराम की पैरोल याचिका मंजूर कर ली है। वहीं दूसरी तरफ मंगलवार सुबह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन शोषण और हत्या के मामले में सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम 21 दिन की फरलो मंजूर कर ली है। इसके लिए कोर्ट ने शर्त रखी है कि उसे उत्तरप्रदेश के बागपत के बरनावा आश्रम में ही रहना होगा। बता दें परोल और परलो दोनों अलग – अलग चीजें हैं।
इसी साल जून के महीने में बाबा राम रहीम ने फरलो की मांग पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से की थी। इसके पहले ही हरियाणा सरकार से हाईकोर्ट ने कहा था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को उसकी परमिशन के बिना पैरोल या फरलो न दें।
क्या होता है पैरोल?
पैरोल में किसी कैदी को विशेष कारण के लिए जेल से बाहर जाने की इजाजत दी जाती है। इसमें कैदी या उसके वकील को बाहर जाने का कारण बताना होता है। इसमें कैदी को पैरोल देने से मना भी किया जा सकता है या फिर सशर्त रिहाई दी जा सकती है। पैरोल भी दो तरह की होती है, एक कस्टडी पैरोल एक रेगुलर पैरोल। आपने देखा होगा कई बार किसी विशेष काम के लिए कैदी पुलिस के साथ जेल से बाहर आता है उसे कस्टडी पैरोल कहते हैं। वहीं, रेगुलर पैरोल में कैदी आजाद घूम सकता है उसके साथ पुलिस नहीं रहती।
क्या होता है फरलो?
फरलो की बात करें तो इसे कैदी की छुट्टी की तरह देखा जा सकता है। जो कैदी लंबे समय के लिए जेल में हैं और कुछ सजा भोग भी चुके हैं उन्हें फरलो दी जाती है। इसे एक तरह से कैदियों के अधिकार के रूप में देखा जाता है। फरलो देने से कैदी परिवार एवं सामाजिक संबंधों को बनाए रखता है, साथ ही वह जेल में बिताए लंबे समय के बुरे प्रभावों की तुलना करने में सक्षम होता है। उत्तर प्रदेश में फरलो देने का ऑप्शन नहीं है।