रिपोर्टर, आज़ाद सक्सेना
दंतेवाड़ा: जिले के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित गांवों में से एक समेली में बदलाव की एक नई तस्वीर देखने को मिली, जहां सीआरपीएफ की 111वीं बटालियन ने सिविक एक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में तीन पंचायतों के दस गांवों से बड़ी संख्या में आदिवासी ग्रामीण, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए।
सीआरपीएफ जवानों ने ग्रामीणों को दैनिक उपयोग की आवश्यक सामग्री वितरित की और उनके लिए भोजन की विशेष व्यवस्था भी की गई। इस पहल से ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला, क्योंकि कभी यह इलाका पूरी तरह नक्सलियों के कब्जे में था, जहां उनकी जनताना सरकार चलती थी और बाहरी लोग यहां आने की हिम्मत भी नहीं कर सकते थे।
कैसे बदला समेली का हाल?
2015 में समेली में सीआरपीएफ का कैंप स्थापित किया गया, जिसके बाद से जवानों ने लगातार ग्रामीणों से संवाद बढ़ाने और विश्वास कायम करने की दिशा में काम किया। वर्षों की मेहनत के बाद अब यह इलाका नक्सलियों के चंगुल से मुक्त हो चुका है, जिससे ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना बढ़ी है और वे विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
सीआरपीएफ 111वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट विवेक सिंह से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, “अब बस्तर बदल रहा है। आंतरिक क्षेत्रों तक विकास की रोशनी पहुंच रही है और ग्रामीण समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।”
स्वदेश की टीम ने समेली गांव में हालात का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनके अनुभव सुने। यह सिविक एक्शन प्रोग्राम केवल सामग्री वितरण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि दंतेवाड़ा अब नक्सलवाद के साए से बाहर निकलकर एक नए भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
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