ट्रेडमार्क रजिस्ट्री ने मंगलवार को ‘चुटियाराम’ मार्क के रजिस्ट्रेशन के आवेदन को वापस ले लिया। यह फैसला उसके स्वीकृत होने के दो हफ्ते बाद और ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित होने के एक दिन बाद आया है। रजिस्ट्री ने कहा कि यह मार्क गलती से स्वीकृत हो गया था और यह ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 की धारा 9 और 11 के तहत आपत्तियों के दायरे में आता है।
क्या कहा गया आदेश में?
रजिस्ट्री के आदेश में कहा गया, “उक्त आवेदन गलती से स्वीकृत कर लिया गया था। यह मार्क धारा 9/11 के तहत रजिस्ट्रेशन के मानदंडों को पूरा नहीं करता है। इसलिए, रजिस्ट्रार ने धारा 19 और ट्रेडमार्क नियम, 2017 के नियम 38 के तहत स्वीकृति वापस लेने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही, आवेदन पर सुनवाई की तारीख तय की गई है।”

क्या था मामला?
‘चुटियाराम’ मार्क को क्लास 30 (नमकीन और बिस्कुट) के तहत रजिस्टर करने के लिए आवेदन किया गया था। इसे स्वीकृत करते हुए एग्जामिनर ने कहा था कि यह मार्क दो अलग-अलग शब्दों ‘चुटी’ और ‘राम’ से मिलकर बना है और यह अन्य ट्रेडमार्क से अलग है। हालांकि, धारा 9(2)(c) के तहत आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया, जो अश्लील, आपत्तिजनक या सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ मार्क के रजिस्ट्रेशन को रोकता है।
क्या है धारा 9(2)(c)?
भारतीय ट्रेडमार्क कानून के मुताबिक, अश्लील या आपत्तिजनक शब्दों को ट्रेडमार्क के तौर पर रजिस्टर करने की अनुमति नहीं है। धारा 9(2)(c) के तहत ऐसे मार्क को रजिस्टर करने पर रोक है, जो सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ हों या समाज में विवाद पैदा कर सकते हों। इसके अलावा, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले या उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले मार्क भी रद्द किए जा सकते हैं।
क्या होता है जब मार्क ‘स्वीकृत और विज्ञापित’ होता है?
जब किसी ट्रेडमार्क को ‘स्वीकृत और विज्ञापित’ किया जाता है, तो इसका मतलब है कि आवेदन ने प्रारंभिक जांच चरण को पास कर लिया है। एग्जामिनर ने कोई आपत्ति नहीं पाई या फिर आपत्तियों को हल कर लिया है। स्वीकृति के बाद मार्क को ट्रेडमार्क जर्नल में प्रकाशित किया जाता है, ताकि जनता और संबंधित पक्ष इसे देख सकें।
क्यों उठे सवाल?
‘चुटियाराम’ मार्क के स्वीकृत होने पर बौद्धिक संपदा कानून के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि यह मार्क धारा 9(2)(c) के तहत आपत्तिजनक हो सकता है और इसे रजिस्टर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, एग्जामिनर ने चार सुनवाई में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होने के बावजूद इसे स्वीकृत कर दिया था।
क्या है अगला कदम?
अब रजिस्ट्री ने इस मामले में सुनवाई की तारीख तय की है। आवेदक और अन्य पक्ष अपने तर्क रख सकेंगे, जिसके बाद अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।
निष्कर्ष
यह मामला ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सतर्कता की जरूरत को उजागर करता है। आपत्तिजनक या अश्लील शब्दों को ट्रेडमार्क के तौर पर रजिस्टर करने से बचने के लिए कानूनी और नैतिक मानकों का पालन करना जरूरी है।
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