BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर एसी लगाने के टेंडर दिलाने का झांसा देकर 90 लाख रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का मुख्य आरोपी चिराग शर्मा आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। शनिवार रात ग्वालियर पुलिस की टीम ने उसे इंदौर के महालक्ष्मी नगर से दबोच लिया। आरोपी को रात में ही ग्वालियर लाया गया और अब पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
पुलिस को लंबे समय से चकमा दे रहा था आरोपी
थाटीपुर थाना प्रभारी विपेन्द्र सिंह चौहान के अनुसार, उन्हें सूचना मिली थी कि चिराग शर्मा और योगेश गोयल इंदौर में छिपे हुए हैं। इसके बाद उप निरीक्षक केके पाराशर, आरक्षक रूप सिंह और नीरज को इंदौर भेजा गया। टीम लगातार दो दिन से आरोपियों की तलाश में लगी हुई थी। आखिरकार शनिवार की रात जैसे ही चिराग अपने ठिकाने पर पहुंचा, पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
साथी योगेश गोयल फरार, पुलिस तलाश में जुटी
चिराग की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने तुरंत उसके सहयोगी योगेश गोयल के संभावित ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन वह फरार हो चुका था। आशंका है कि उसे चिराग की गिरफ्तारी की भनक लग गई थी। अब पुलिस योगेश और अन्य फरार आरोपियों की तलाश में सक्रिय हो गई है।
पहले भी एक आरोपी हो चुका है गिरफ्तार
इस मामले में कुल चार आरोपी हैं। इनमें से एक आरोपी राहुल जाटव को पुलिस कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर चुकी है। इसके अलावा आरोपी नफशत अली उर्फ राजा खान और योगेश गोयल अभी भी फरार हैं। चिराग और राहुल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उम्मीद है कि पूछताछ से बचे हुए आरोपियों का सुराग मिल सकेगा।
ऐसे हुआ था 90 लाख की ठगी का खुलासा
ग्वालियर निवासी कारोबारी पंकज सोनी ने थाटीपुर थाने में शिकायत की थी कि साल 2021 में उसकी मुलाकात राहुल, नफशत, चिराग और योगेश से हुई थी। इन लोगों ने खुद को प्रभावशाली बताकर पंकज को रेलवे स्टेशन पर एसी लगाने का टेंडर दिलाने का झांसा दिया। पंकज से कुल 90 लाख रुपये लिए गए और बार-बार भरोसा दिलाया गया कि टेंडर उसी को मिलेगा।
काफी समय बीत जाने के बाद जब पंकज को कोई टेंडर नहीं मिला, तो उसने खुद जांच-पड़ताल शुरू की और हकीकत सामने आई। यह जानकर कि उसके साथ धोखा हुआ है, उसने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस जुटी है पूरे नेटवर्क को उजागर करने में
अब चिराग शर्मा से पूछताछ कर पुलिस इस ठगी गिरोह के बाकी सदस्यों, उनके नेटवर्क और अन्य संभावित पीड़ितों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही है। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि गिरोह ने इसी तरह कई अन्य लोगों को भी सरकारी टेंडर दिलाने का लालच देकर ठगा हो सकता है।





