Mohit Jain
खरना का महत्व:
छठ महापर्व के दूसरे दिन यानी 26 अक्टूबर, 2025 को खरना किया जाएगा। इस दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। खरना के दिन व्रती शाम को मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाते हैं और पूजा के बाद ग्रहण करते हैं। इस दिन सूर्य देव और छठी माता की विशेष पूजा की जाती है।
खरना में क्या तैयार होता है:
- चावल और गुड़ से बनी खीर
- केला
- गेहूं की रोटी
- ठेकुआ
यह प्रसाद शुद्ध तन और मन से तैयार करके ग्रहण किया जाता है और इसके बाद व्रती अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं।
छठ पूजा खरना सामग्री सूची:
- बांस की टोकरियां (प्रसाद रखने के लिए)
- गेहूं, चावल का आटा
- धूप, दीप और अगरबत्ती
- नए वस्त्र (व्रती के लिए)
- शकरकंदी
- बांस या पीतल का सूप
- एक लोटा
- सुथनी
- गुड़
- ठेकुआ
- घी
- शहद
- चावल
- 5 पत्तियां लगे हुए गन्ने
- एक थाली
- पानी वाला नारियल
- पान, सुपारी
- गन्ना, सिंघाड़ा
- केला, नाशपाती, शरीफा
- मूली
- अदरक और हल्दी का हरा पौधा
- डाभ नींबू (बड़ा और अंदर से लाल)
- मिठाइयाँ
- सिंदूर
खरना कैसे किया जाता है:
व्रती सुबह से लेकर शाम तक निर्जला व्रत रखते हैं। सुबह स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। विवाहित महिलाएं नाक से सिर तक सिंदूर लगाती हैं। शाम के समय प्रसाद मिट्टी के चूल्हे में पकाया जाता है।
प्रसाद की खीर, ठेकुआ और केला छठी माता और सूर्य देव की पूजा के बाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रती अगले 36 घंटों तक व्रत बनाए रखते हैं और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करते हैं।





