ग्वालियर में चेतकपुरी रोड के भ्रष्ट निर्माण को लेकर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। लगातार मिल रही शिकायतों और जर्जर सड़कों को लेकर राज्य के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर खुद सड़कों पर उतरे। मंत्री दौरे के बाद नगर निगम ने दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदार ठेकेदार अब भी कार्रवाई से बचे हुए हैं।
सड़कों की बदहाली पर मंत्री उतरे मैदान में
शुक्रवार को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने चेतकपुरी रोड और आसपास की अन्य जर्जर सड़कों का निरीक्षण किया।
- बारिश के बीच छाते लेकर सड़कों की स्थिति देखी गई
- कई जगह सड़कें धंस चुकी हैं
- हैवी वाहनों और बसों के फंसने की घटनाएं भी हुईं
दो इंजीनियर निलंबित, ठेकेदारों को राहत
मंत्रियों के निरीक्षण के बाद नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने दो प्रभारी कार्यपालन यंत्री—सुरेश अहिरवार (नगर निगम) और पवन सिंघल (PIU)—को निलंबित कर दिया।
लेकिन:
- ठेकेदारों जैन एंड राय कंपनी (स्टॉर्म वाटर प्रोजेक्ट) और एचएनएस कंपनी (सड़क निर्माण) पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- अधीक्षण यंत्री जेपी पारा और सहायक यंत्री महेंद्र प्रसाद अग्रवाल भी कार्रवाई से बाहर हैं।
प्रोजेक्ट की लागत और खामियां
- स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम: 14.50 करोड़ रुपये
- सड़क निर्माण: 4.09 करोड़ रुपये
- नगर निगम ने साइट निरीक्षण किए बिना ठेकेदारों को पूरा कार्य सौंप दिया
- नतीजा: रोड के 8 हिस्सों में धंसाव और खराब निर्माण
कार्रवाई का अगला चरण
क्या होगा आगे:
- इंजीनियरों के निलंबन पर अंतिम फैसला मेयर इन काउंसिल (MIC) लेगी
- MIC चाहे तो आयुक्त का आदेश रद्द भी कर सकती है
- ठेकेदारों के भुगतान रोकने की तैयारी की जा रही है, जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी
- महेंद्र प्रसाद अग्रवाल पर कार्रवाई का प्रस्ताव PHE विभाग को भेजा गया है
- अधीक्षण यंत्री जेपी पारा के खिलाफ निर्णय UADD विभाग लेगा
सीएम के दौरे से पहले तेज हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि 5 जुलाई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ग्वालियर दौरा प्रस्तावित है। इसी के चलते नगर निगम और प्रशासन हरकत में आया है। चेतकपुरी रोड की दुर्दशा को लेकर सरकार और प्रशासन की साख दांव पर है।
चेतकपुरी रोड का यह मामला सिर्फ एक सड़क के धंसने का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और ठेकेदारी प्रणाली की पोल खोलने वाला मामला बन गया है। जनता जवाब मांग रही है, और अब देखना होगा कि ठेकेदारों पर भी वैसी ही सख्ती बरती जाती है या नहीं।