बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक अनुशासन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। शनिवार को पार्टी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही दो अन्य नेताओं पर भी अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गई।
एक सप्ताह में जवाब तलब
पार्टी ने आरके सिंह के साथ ही अन्य दो नेताओं को भी नोटिस भेजते हुए एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है। भाजपा का कहना है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आरके सिंह पर कार्रवाई के प्रमुख कारण
पूर्व ऊर्जा मंत्री और आरा के सांसद रहे आरके सिंह हाल के दिनों में भाजपा और एनडीए की कार्यशैली को लेकर खुलकर आलोचना कर रहे थे।
• उन्होंने कई बार भ्रष्टाचार और गुटबाजी जैसे मुद्दों को सामने रखा।
• चुनावी अभियान के दौरान कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए और मोकामा की हिंसा को प्रशासन एवं चुनाव आयोग की नाकामी बताया।
• हाल ही में उन्होंने सरकार पर हजारों करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप भी लगाया था।
इन लगातार सार्वजनिक बयानों को पार्टी ने अनुशासन भंग माना और उनके खिलाफ कार्रवाई की।
अग्रवाल परिवार पर भी निलंबन की कार्रवाई
आरके सिंह के साथ ही भाजपा ने एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी निलंबित कर दिया है।
• आरोप है कि अशोक अग्रवाल ने पार्टी निर्देशों के खिलाफ जाकर अपने बेटे सौरव अग्रवाल को कटिहार सीट से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़वाया।
• इसे पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हुए पति-पत्नी दोनों को नोटिस जारी किया गया है।
संगठनात्मक अनुशासन पर भाजपा का जोर
इन कार्रवाइयों से भाजपा ने यह संकेत दिया है कि चुनाव के बाद भी पार्टी आंतरिक अनुशासन, एकजुटता और नेतृत्व के निर्देशों के पालन पर कोई समझौता नहीं करेगी।





