भोपाल: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित जहरीले कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कचरे के निपटान के लिए किए जा रहे परीक्षणों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया
पीथमपुर के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक ‘वेस्ट डिस्पोजल प्लांट’ में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से पहले दौर में 10 टन कचरे को जलाकर भस्म किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, गुरुवार से शुरू हुई इस प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह शामिल थे, ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के तहत यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में निपटाने की प्रक्रिया पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
प्रदेश सरकार के अनुसार, इस कचरे में यूनियन कार्बाइड कारखाने की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, कीटनाशक (सेविन) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष, और अन्य अर्द्ध प्रसंस्कृत अवशेष शामिल हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि इस कचरे में अब सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव ‘लगभग नगण्य’ हो चुका है।
नष्ट करने की प्रक्रिया का विवरण
निपटान प्रक्रिया के तहत, कचरे को 850 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाएगा। इसके बाद, 10 टन कचरे को भस्मक में डाला जाएगा, और इसमें लगभग 72 घंटे का समय लगेगा।
सुरक्षा के उपाय और पुलिस तैनाती
निपटान प्रक्रिया के दौरान निकले ठोस अवशेषों, पानी और गैसों का उचित तरीके से निपटान किया जाएगा। इस दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को मास्क, चश्मे और दस्ताने जैसे उपकरण दिए गए हैं। पुलिस ने भी पीथमपुर क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी है और लगभग 500 पुलिसकर्मी क्षेत्र में तैनात किए गए हैं।
भोपाल गैस त्रासदी का दुखद इतिहास
1984 में भोपाल में हुई गैस त्रासदी में यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी और हजारों को स्थायी रूप से अपंग बना दिया था। इस त्रासदी में 5,479 लोग मारे गए थे। इस गैस रिसाव को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने की योजना के तहत, यह कचरा 2 जनवरी को पीथमपुर भेजा गया था, जो भोपाल से लगभग 250 किलोमीटर दूर है।
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