हैदराबाद: आधिकारिक दस्तावेजों का गलत मसौदा न केवल गलतफहमी पैदा कर सकता है, बल्कि कानूनी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। यह चेतावनी जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी हैदराबाद (JNTUH) के वाइस चांसलर टी. किशन कुमार रेड्डी ने विश्वविद्यालय के गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए आयोजित एक लघु प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में दी।
यह चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रशासनिक कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने, स्पष्ट संचार सुनिश्चित करने और दस्तावेजों को सटीक रूप से तैयार करने पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम को JNTUH द्वारा UGC-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के तहत प्रायोजित किया गया है।
प्रशिक्षण में शामिल मुख्य विषय
इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों को कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:
कंप्यूटर दक्षता (Computer Proficiency)
ऑडिट रिपोर्ट का उत्तर देना (Audit Responses)
बजट प्रबंधन (Budget Management)
क्रय प्रक्रिया (Procurement Procedures)
सेवा नियमों की व्याख्या (Service Rule Interpretation)
इन सभी विषयों का गहरा संबंध किसी भी संस्थान के कुशल और सुचारू संचालन से है। सही प्रशासनिक प्रक्रिया अपनाने से न केवल कार्यकुशलता बढ़ती है, बल्कि किसी भी कानूनी या तकनीकी समस्या से बचाव भी होता है।
कार्यक्रम का आयोजन
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डॉ. एम. सुषमा और डॉ. मेरुगु सुरेंदर द्वारा किया गया। वाइस चांसलर रेड्डी ने इस अवसर पर कहा कि “स्पष्ट और प्रभावी दस्तावेजीकरण प्रशासन की नींव होती है। यदि सरकारी दस्तावेजों को सही ढंग से नहीं लिखा जाए, तो इससे न केवल संस्थान की कार्यकुशलता प्रभावित होती है, बल्कि यह कानूनी विवादों का भी कारण बन सकता है।”
JNTUH का यह कदम अपने गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने और संस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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