BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया है कि उन्हें सदन में बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की भागीदारी होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल सरकार की आवाज को ही महत्व दिया जा रहा है।
राहुल गांधी का बयान:
राहुल गांधी ने कहा, “लोकसभा में एक परंपरा है कि विपक्ष के नेताओं को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाता है, परन्तु जब भी मैं बोलने का प्रयास करता हूं, मुझे रोक दिया जाता है। मैं नहीं समझ पाता कि सदन कैसे संचालित किया जा रहा है।” उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, “यहां हम जो कहना चाहते हैं, वह सुनने को नहीं मिलता। मैंने शांतिपूर्वक अपनी बात रखने का प्रयास किया, लेकिन मेरे बोलने की कोई गुंजाइश नहीं रही।”
विषय-वस्तु पर अतिरिक्त टिप्पणी:
उनका यह भी कहना था कि उस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ मेले से संबंधित बयान दिया, जिसमें मैं बेरोजगारी पर अपनी बात जोड़ना चाहता था, लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं मिला। राहुल गांधी का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि उन्हें सदन में एक वांछित जगह नहीं दी जा रही।
स्पीकर की प्रतिक्रिया और सदन का माहौल:
दो दिन पूर्व, राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ असामान्य अभिवादन किया था, जिस पर लोकसभा के स्पीकर ने सांसदों के आचरण पर कड़ी नसीहत दी थी। कांग्रेस के अन्य सांसदों ने भी यह विरोध जताया कि जब प्रधानमंत्री सदन में प्रवेश करते हैं, तब बीजेपी के सभी सांसद खड़े हो जाते हैं, जिसे वे सदन का अपमान मानते हैं।
इस प्रकार, राहुल गांधी का यह आरोप सदन में विपक्ष की भूमिका पर उठ रहे सवालों को उजागर करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में संतुलन की कमी की ओर इशारा करता है।
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