भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल इस समय रूस की राजधानी मॉस्को में हैं। यह दौरा पहले से तय था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया धमकियों के बाद यह यात्रा भारत की विदेश नीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है।
पुतिन से मुलाकात, रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा
रूसी मीडिया के अनुसार, अजीत डोभाल मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे।
इस दौरान:
- भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा होगी
- रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर ज़ोर दिया जाएगा
- रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर विचार होगा
यह मुलाकात दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे को दर्शाती है, खासकर तब जब अमेरिका इस रिश्ते को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
रूस ने भारत के पक्ष में दिया समर्थन
अजीत डोभाल की यात्रा से पहले ही रूस ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि वह भारत के साथ खड़ा है।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा:
“कुछ देशों द्वारा दूसरे देशों पर व्यापारिक दबाव बनाना वैधानिक नहीं है। हमें ऐसे बयानों में धमकी की झलक दिखती है।”
हालांकि उन्होंने अमेरिका का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था—रूस, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का सम्मान करता है और उसका समर्थन करता रहेगा।
भारत-रूस रक्षा सहयोग को नई दिशा
रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने रूसी उप रक्षा मंत्री कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर फोमिन से मुलाकात की। इस बैठक में:
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गहराने पर सहमति बनी
- रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया गया
- रक्षा क्षेत्र में भविष्य के साझा कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई
यह संवाद ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने पर प्रतिबंध की धमकी दे रहा है।
भारत की विदेश नीति का संदेश: स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण
अजीत डोभाल की रूस यात्रा यह स्पष्ट संकेत देती है कि भारत किसी एक ध्रुव की विदेश नीति नहीं अपनाता। भारत:
- अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देता है
- बहुपक्षीय संबंधों में विश्वास रखता है
- ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक साझेदारियों को महत्व देता है
डोभाल की यह यात्रा बताती है कि भारत अमेरिकी दबावों के बावजूद अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा।
डोभाल की यात्रा क्या संदेश देती है?
अजीत डोभाल की रूस यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर विदेश नीति का जीवंत उदाहरण है। ऐसे समय में जब वैश्विक राजनीति में तनाव है, भारत ने संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण से विश्व मंच पर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है।