देवास : एक विवाह समारोह में विवाह के 7 वचनों के साथ लिया गया आठवा अनूठा वचन । प्रथम संतान कन्या होने पर पुत्र जन्म की तरह खुशिया और जश्न मनाने का लिया आठवा वचन । सोशल मीडिया पर भी इस अनूठा विवाह और आठवा वचन बना चर्चा का विषय ।
जी हां विवाह बंधन के सात वचनों के बारे में तो सुना होगा लेकिन देवास में एक अनूठा विवाह ऐसा हुआ जिसमें शादी को लेकर आठवां वचन लिया गया आठवां वचन यह लिया गया कि अगर हमारे यहां पहली संतान के रूप में कन्या जन्म लेगी तो हम उसी तरह जश्न मनाएंगे जिस तरह से पुत्र होने पर मनाया जाता है ।
पिछले दिनों 7 सितंबर को डॉक्टर आकाश सिंह सोलंकी और देवास की रहने वाली अक्षिता सिंह सिकरवार विवाह के बंधन में बंधे जिनका विवाह देवास के एक निजी रिसोर्ट में संपन्न हुआ ।
विवाह करने वाले पंडित जी ने सात वचन फेरों के दौरान वर वधु से दिलवाएं । लेकिन इन शिक्षित और युवा वर वधू ने परिवार के परिजनों की सहमति और पंडित जी से बातचीत के बाद एक संकल्प लिया और एक आठवां वचन भी लिया , जिसमें यह आठवां वचन लिया गया कि अगर पहली संतान इन्हें कन्या
( पुत्री ) के रूप में प्राप्त होती है , तो यह उसी तरह से खुशियां और जश्न मनाएंगे जिस तरह से पुत्र के जन्म होने पर मनाया जाता है । इसके पीछे जब वर वधु यानी कि अक्षिता सिंह सिकरवार और डॉक्टर आकाश सिंह सोलंकी से बात की गई तो दोनों दंपत्ति ने यह बात कही कि समाज में यह एक कुरीति है , की बेटी के जन्म होने पर खुशियां नहीं मनाई जाती । वही यह अब एक सामाजिक बुराई के रूप में भी परिलक्षित हो रही है । इसी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चला रहे हैं , इस अभियान को लेकर एक छोटी सी आहुति के रूप में हमने इस पहल की शुरुआत की है और विवाह समारोह के दौरान आठवां वचन लिया है , की पुत्री या बेटी होने पर भी जश्न और खुशियां मनाई जा सकती है ।
डाक्टर आकश सिंह चौहान ने कहा की वे मेडिकल फील्ड से है और उन्होंने जार्जिया से अपनी पढ़ाई पूरी की है उन्होंने बेटे और बेटी के जन्म का फर्क काफी करीब से देखा है । वहीं वधू अक्षिता सिंह के अनुसार भी बेटे बेटी में अंतर की यह सामाजिक कुरीति काफी दिनों से चल रही है , जो दूर होना चाहिए ।
दोनों परिवार के पेरेंट्स और परिजन भी इस बात को लेकर काफी खुश दिखाई दिए , वहीं वर पक्ष के पिता का भी साफ तौर पर कहना है कि जिस तरह से समाज में कुरीति फैल रही है और बेटे बेटियों में अंतर बढ़ता जा रहा है , उसी को ध्यान में रखते हुए हमारे परिवारों ने यह आठवे वचन का निर्णय लिया ।
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