BY: Yoganand Shrivastva
पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने एक बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह उत्तर प्रदेश में भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ा भव्य राम मंदिर बन रहा है, ठीक उसी तरह बिहार में माता सीता के जन्मस्थान पर भी सरकार एक विशाल और भव्य सीता मंदिर का निर्माण कराएगी।
डिप्टी सीएम ने अपने संबोधन में कहा, “बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान के पहले पन्ने पर श्रीराम को स्थान दिया, क्योंकि वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे। अब बिहार सरकार भी माता सीता के जन्मस्थल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए वहां एक भव्य मंदिर बनाएगी।”
सीता जन्मभूमि – कहां और क्यों है महत्वपूर्ण?
धार्मिक मान्यताओं और वाल्मीकि रामायण के अनुसार, माता सीता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था। यह क्षेत्र प्राचीन मिथिला साम्राज्य का हिस्सा रहा है, जिसकी राजधानी राजा जनक की नगरी थी।
रामायण के अनुसार, जब राजा जनक खेत जोत रहे थे, तब उन्हें हल की नोक से एक सोने का घड़ा मिला, जिसमें एक दिव्य कन्या थी। उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में अपनाया और उसका नाम सीता रखा। इसलिए माता सीता को “पृथ्वी की पुत्री” और “अयोनिजा” (गर्भ के बिना उत्पन्न) कहा जाता है।
सीता जन्मभूमि के रूप में पुनौरा धाम को मान्यता प्राप्त है, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। हर साल यहां लाखों लोग माता सीता के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
सरकार की पहल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
यह घोषणा न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी है, बल्कि बिहार के सांस्कृतिक गौरव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में भी एक कदम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि यदि यह मंदिर परियोजना साकार होती है, तो सीतामढ़ी को रामायण सर्किट में विशेष स्थान मिल सकता है।
सरकार की इस पहल पर अभी विस्तृत योजना सामने आना बाकी है, लेकिन सम्राट चौधरी के बयान के बाद राज्य और देशभर के श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है।