BY: MOHIT JAIN
आज भारत के महान गायक और अभिनेता किशोर कुमार की 96वीं जयंती है।
4 अगस्त 1929 को जन्मे किशोर दा ने अपनी अनूठी आवाज और कॉमिक टाइमिंग से हिंदी सिनेमा को नया आयाम दिया।
इस खास मौके पर जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े वो किस्से, जो उन्हें सदाबहार बनाते हैं।
किशोर कुमार: सदाबहार आवाज और अनूठा अंदाज

हिंदी सिनेमा की दुनिया में अगर किसी नाम को सदाबहार कहा जाए तो वो है किशोर कुमार। गायक, अभिनेता, संगीतकार, लेखक और निर्देशक किशोर दा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आज उनकी 96वीं जयंती है, और इस मौके पर हम उनकी जिंदगी के कुछ रोचक किस्सों और संघर्षों पर नजर डालते हैं।
नेशनल अवॉर्ड क्यों ठुकराया?

किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्म दूर गगन की छांव में के लिए किशोर दा को नेशनल अवॉर्ड मिलने वाला था। लेकिन आखिरी समय पर उनसे रिश्वत मांगी गई।
किशोर कुमार ने साफ कह दिया – “मैं पुरस्कार खरीदने के लिए रिश्वत नहीं दूंगा।”
इसी वजह से उन्हें नेशनल अवॉर्ड नहीं मिला, जबकि उनकी उस फिल्म की खूब तारीफ हुई और बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता मिली।
प्रारंभिक जीवन और बचपन

- जन्म: 4 अगस्त 1929, खंडवा, मध्य प्रदेश
- असली नाम: आभास कुमार गांगुली
- पिता: कुंजालाल गांगुली (वकील)
- माता: गौरी देवी (गृहिणी)
नौ भाई-बहनों में सबसे छोटे किशोर बचपन से ही संगीत और हास्य में रुचि रखते थे। खंडवा की गलियों में पले-बढ़े किशोर कुमार ने बचपन से ही गाने और अभिनय की दुनिया से गहरा लगाव दिखाया।
कोरस सिंगर से हुई करियर की शुरुआत

किशोर कुमार ने अपना करियर बॉलीवुड में कोरस सिंगर के रूप में शुरू किया। उनकी पहली नौकरी फिल्म बॉम्बे टॉकीज में मिली, जिसमें उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने भी काम किया था।
बाद में उन्होंने बतौर अभिनेता 1946 की फिल्म ‘शिकारी’ से डेब्यू किया। हालांकि शुरुआत में उन्हें बड़े मौके नहीं मिले, लेकिन उनकी मेहनत और आवाज ने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।
पहला गाना और गार्ड वाला किस्सा

किशोर कुमार का पहला गाना था “मरने की दुआएं क्यों मांगू”, जिसे उन्होंने 1948 में फिल्म जिद्दी के लिए गाया। इस गाने के बाद उनकी गायकी की यात्रा को नई दिशा मिली।
लेकिन उनके करियर में एक रोचक और दुखद मोड़ तब आया जब एक ब्लॉकबस्टर फिल्म का रोल उनसे सिर्फ इसलिए छिन गया क्योंकि गार्ड ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया।
उस फिल्म से उन्हें बड़ा ब्रेक मिल सकता था, लेकिन किस्मत ने अलग राह चुनी।
फिल्मी करियर और लोकप्रियता
किशोर कुमार ने शुरुआत बतौर अभिनेता की, लेकिन उनकी पहचान गायक और बहुमुखी कलाकार के रूप में बनी।

- अभिनय किया फिल्मों में: दोस्ती, हकीकत, दूर गगन की छांव में
- निर्देशन भी किया और गायक के रूप में असंख्य सुपरहिट गाने दिए
- कॉमिक टाइमिंग और अनोखी आवाज से वो हर दिल में बस गए
निजी जिंदगी और संघर्ष
किशोर कुमार का निजी जीवन भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था।
- पहली शादी: 1950 में रूमा गुहा ठाकुरता से (बेटे अमित कुमार का जन्म)
- दूसरी शादी: 1960 में अभिनेत्री मधुबाला से (1969 तक साथ)
- तीसरी शादी: 1976 में योगिता बाली से (1978 में तलाक)
- चौथी शादी: 1980 में लीना चंद्रावरकर से (आखिरी वक्त तक साथ रहीं)
एक दर्दनाक घटना और स्वास्थ्य गिरावट
1981 में बेटे अमित कुमार की शादी के दस दिन पहले खबर मिली कि दुल्हन पहले से विवाहित है। यह झटका किशोर दा को बहुत भारी पड़ा। 24 जनवरी को जब वो कोलकाता पहुंचे तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा और इसके बाद उनकी सेहत लगातार बिगड़ती गई।
किशोर कुमार के सदाबहार गाने
उनकी आवाज ने हिंदी संगीत को एक नया आयाम दिया। उनके गाए गाने आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं:
- मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू
- नीले नीले अंबर पर
- गाता रहे मेरा दिल
- मेरे सामने वाली खिड़की में
- दिल क्या करे
- बाबुल का घर पन्ना की तमन्ना है
राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी ने तो हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक हिट्स दिए।
निधन और विरासत
13 अक्टूबर 1987 को मात्र 58 साल की उम्र में किशोर कुमार का निधन हो गया।
आज भी उनकी आवाज, कॉमिक टाइमिंग और अनूठी शैली उन्हें भारतीय संगीत का अमर सितारा बनाती है।
किशोर कुमार सिर्फ एक गायक नहीं, बल्कि एक भावना हैं। उनकी जिंदादिल शख्सियत और संगीत की विरासत आज भी पीढ़ियों को प्रेरित कर रही है। उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि सच्ची कला को किसी अवॉर्ड या प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती—वो हमेशा दिलों में जिंदा रहती है।