भारत के युवा पहलवानों ने अंडर-17 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर देश का मान बढ़ाया है। सबसे खास उपलब्धि रही पहलवान लैकी की, जिन्होंने 110 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में फाइनल में जगह बनाकर गोल्ड मेडल की उम्मीदें जगा दी हैं।
लैकी का शानदार सफर: जापान से ईरान तक हराया
लैकी ने टूर्नामेंट की शुरुआत दमदार अंदाज में की:
- पहला राउंड: जापान के हान्टो हयाशी को तकनीकी श्रेष्ठता से हराया।
- क्वार्टर फाइनल: जॉर्जिया के मुर्तज बागदावद्जे को 8-0 से मात दी।
- सेमीफाइनल: ईरान के अमीरहुसैन एम. नागदालीपुर को हराकर फाइनल में प्रवेश।
अब फाइनल में उनका मुकाबला UWW (यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) के बैनर तले खेल रहे मैगोमेद्रसुल ओमारोव से होगा। यह बाउट लैकी के करियर का सबसे बड़ा मौका साबित हो सकती है।
गौरव पूनिया को मिला ब्रॉन्ज का दूसरा मौका
भारतीय पहलवान गौरव पूनिया ने भी दमदार शुरुआत की थी।
- शुरुआती दोनों मुकाबले तकनीकी श्रेष्ठता से जीते।
- क्वार्टर फाइनल में अमेरिका के आर्सेनी किकिनियो से हार गए।
- चूंकि किकिनियो फाइनल में पहुंचे, गौरव को रेपेचेज राउंड में दोबारा मौका मिला है।
अगर गौरव अपने दोनों रेपेचेज मुकाबले जीतते हैं, तो भारत को एक और मेडल मिल सकता है।
शिवम और जयवीर की चुनौती समाप्त
भारत के अन्य पहलवानों ने भी कड़ी टक्कर दी, लेकिन पदक की दौड़ से बाहर हो गए:
- शिवम (48 किग्रा): कजाकिस्तान के सबिरजान राखातोव से 6-7 के करीबी अंतर से हारे।
- जयवीर सिंह (55 किग्रा): पहले मैच में जीत के बाद क्वार्टर फाइनल में अमेरिका के ग्रेटन एफ. बर्नेट से हार का सामना किया।
दोनों के विरोधी बाद के दौर में हार गए, जिससे उनके लिए रेपेचेज़ का रास्ता बंद हो गया।
भारत की बढ़ती उम्मीदें
लैकी के फाइनल में पहुंचने और गौरव के रेपेचेज राउंड में उतरने से भारत को इस चैंपियनशिप में मेडल की पूरी उम्मीद है। अगर लैकी गोल्ड जीतते हैं और गौरव ब्रॉन्ज हासिल करते हैं, तो यह टूर्नामेंट भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है।