भारत ने चिकित्सा जगत में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पारंपरिक इलाज पद्धतियों को आधुनिक तकनीक से जोड़ दिया है। ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) के रूप में भारत ने एक ऐसी AI आधारित डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की है, जो आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी जैसे पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित और सुलभ बनाती है।
इस पहल की न सिर्फ देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर सराहना हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी TKDL को पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक तकनीक के बेहतरीन संगम के रूप में मान्यता दी है।
क्या है TKDL और कैसे करता है काम?
TKDL यानी Traditional Knowledge Digital Library एक ऐसा स्मार्ट प्लेटफॉर्म है, जिसमें:
- लाखों पारंपरिक नुस्खों और औषधीय जानकारियों को डिजिटल रूप दिया गया है
- संस्कृत, तमिल, फारसी और अरबी जैसी भाषाओं के ग्रंथों को AI और मशीन लर्निंग के माध्यम से अनुवाद और संरक्षित किया गया है
- औषधीय पौधों, फार्मूलों, उपचार विधियों और उनकी डोज जैसी सूचनाओं को सर्चेबल और मल्टी-लैंग्वल बनाया गया है
अब वैज्ञानिक कुछ ही सेकंड में जान सकते हैं कि हजारों साल पुरानी औषधि आज की किन बीमारियों में उपयोगी हो सकती है।
बायोपायरेसी से सुरक्षा: हमारी पारंपरिक विरासत का डिजिटल कवच
TKDL का एक प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान की चोरी (बायोपायरेसी) को रोकना है।
भारत पहले भी नीम, हल्दी और बासमती चावल जैसे उत्पादों पर विदेशी पेटेंट की कोशिशों का सामना कर चुका है। TKDL के जरिए:
- हज़ारों फार्मूले को डिजिटल पब्लिक डोमेन में लाकर पेटेंट उल्लंघन से बचाया जा रहा है
- कोई भी कंपनी अब इन सार्वजनिक पारंपरिक जानकारियों पर पेटेंट नहीं ले सकेगी
- यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में मजबूत कदम है
WHO की रिपोर्ट में भारत की तारीफ
जुलाई 2025 में WHO द्वारा जारी की गई रिपोर्ट “AI in Traditional Medicine” में TKDL के साथ-साथ अन्य भारतीय पहलों जैसे:
- AYUSH Grid
- Ayurgenomics
- SAHI
- NAMASTE
- Ayush Research Portal
की भी वैश्विक स्तर पर सराहना की गई है। WHO ने TKDL को एक ग्लोबल मॉडल बताया है जिसे अन्य देश भी अपना सकते हैं।
भारत कैसे बन रहा है हेल्थटेक में ग्लोबल लीडर?
TKDL के अलावा भारत की अन्य टेक-इनिशिएटिव्स जैसे टेली-मेडिसिन, डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स और हर्बल डेटा स्टोरेज ने पारंपरिक चिकित्सा को 21वीं सदी के स्वास्थ्य ढांचे से जोड़ दिया है।
भारत की पहलें जो स्वास्थ्य क्षेत्र को बदल रही हैं:
- पारंपरिक इलाज के वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण से रिसर्च को बढ़ावा
- आम जनता के लिए विश्वसनीय और संगठित हर्बल ज्ञान
- आयुष आधारित हेल्थकेयर का अंतरराष्ट्रीयकरण
परंपरा और टेक्नोलॉजी का मेल
भारत ने न सिर्फ अपनी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को सम्मान दिया है, बल्कि उसे तकनीक के साथ जोड़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित भी किया है। TKDL जैसे प्रोजेक्ट यह साबित करते हैं कि जब तकनीक और परंपरा मिलती है, तो भविष्य की दिशा भी तय होती है।
WHO की सराहना इस बात का प्रमाण है कि भारत हेल्थटेक और परंपरागत चिकित्सा के ग्लोबल लीडर बनने की दिशा में अग्रसर है।