21 जुलाई 2025 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए भीषण विमान हादसे ने पूरे दक्षिण एशिया को झकझोर दिया। हादसे में अब तक 31 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 25 मासूम बच्चे शामिल हैं। इस कठिन घड़ी में भारत ने मानवीय सहायता की पहल करते हुए बर्न स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम भेजने का ऐलान किया है।
पीएम मोदी ने जताई संवेदना, मदद का दिया भरोसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाका हादसे पर गहरा शोक जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने भारत की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन देते हुए कहा कि यह समय दुख साझा करने और सहयोग देने का है।
भारत सरकार ने झुलसे हुए मरीजों के इलाज के लिए एक विशेष चिकित्सीय टीम को ढाका भेजने का निर्णय लिया है, जिसमें अनुभवी बर्न विशेषज्ञ डॉक्टर, नर्सें और आवश्यक मेडिकल उपकरण शामिल हैं।
मेडिकल टीम करेगी आकलन और उपचार
भारत से भेजी गई मेडिकल टीम का उद्देश्य सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे:
- सभी पीड़ितों की स्वास्थ्य स्थिति का गहन आकलन करेंगी,
- ज़रूरत पड़ने पर उन्नत इलाज के लिए मरीजों को भारत लाने की सिफारिश भी कर सकती हैं,
- और आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त मेडिकल टीमें भी तैनात की जाएंगी।
यह सहयोग भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और बांग्लादेश के साथ मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों को दर्शाता है।
हादसे का कारण और स्थिति
ढाका में चीन निर्मित एफ-7 बीजीआई वायुसेना का प्रशिक्षण विमान टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद तकनीकी खराबी का शिकार हो गया और माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज की दो मंजिला इमारत से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
- मृतकों की संख्या: 31
- बच्चों की संख्या: 25 (अधिकांश 12 वर्ष से कम आयु के)
- झुलसने के कारण मौतें सबसे अधिक रही हैं।
अस्पतालों में भर्ती और मौतें
आईएसपीआर (ISPR) की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न अस्पतालों में मौतें दर्ज की गईं:
- संयुक्त सैन्य अस्पताल: 16 मौतें
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी: 10 मौतें
- लुबाना जनरल अस्पताल: 2 मौतें
- अन्य अस्पताल (DMCH, उत्तरा आधुनिक मेडिकल कॉलेज, यूनाइटेड अस्पताल): 1-1 मौत
कुल 165 घायल विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं और इलाज जारी है।
छात्रों का विरोध प्रदर्शन
हादसे के बाद ढाका में गुस्सा और आक्रोश भी देखने को मिला। मंगलवार सुबह:
- माइलस्टोन स्कूल और अन्य स्कूलों के सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया,
- सही जानकारी सार्वजनिक करने,
- पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने,
- और पुराने, असुरक्षित विमानों की उड़ान बंद करने की मांग की।
ढाका विमान हादसा न केवल एक दर्दनाक दुर्घटना है, बल्कि इससे उठे सवाल और मांगें सुरक्षा मानकों की समीक्षा की आवश्यकता को भी दर्शाते हैं। भारत द्वारा भेजी गई मदद यह दर्शाती है कि संकट की घड़ी में मानवता और पड़ोसी देश साथ खड़े हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत मिले और भविष्य में ऐसे हादसे न हों।