डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और फैसलों के चलते अमेरिका के लोग अब खुलकर उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। ट्रंप प्रशासन की नीतियों से नाराज नागरिकों ने देश के सभी 50 राज्यों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया है। इन प्रदर्शनों का हिस्सा बने लाखों लोग अमेरिका के लोकतंत्र, मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।
विरोध की जड़ में क्या है?
ट्रंप के कार्यकाल में कई विवादास्पद फैसले लिए गए—चाहे वह इमिग्रेशन नीतियां हों, हेल्थकेयर में कटौती, या अंतरराष्ट्रीय टैरिफ वार। इन्हीं कारणों से जनता में नाराजगी बढ़ती गई। इस विरोध की सबसे खास बात यह रही कि यह सिर्फ एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर के हर राज्य में लोगों ने एकजुट होकर अपनी बात रखी।
‘गुड ट्रबल लाइव्स ऑन’ आंदोलन क्या है?
- यह आंदोलन दिवंगत नागरिक अधिकार नेता जॉन लुईस की प्रेरणा से शुरू हुआ।
- जॉन लुईस ने अपनी मृत्यु से पहले कहा था, “अच्छी परेशानी में पड़ो, ज़रूरी परेशानी में पड़ो और अमेरिका की आत्मा का उद्धार करो।”
- आंदोलन का मकसद है—शांतिपूर्ण तरीके से अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना।
कहां-कहां हुआ विरोध?
- 1600 से अधिक जगहों पर प्रदर्शन हुए।
- न्यूयॉर्क: प्रदर्शनकारियों ने ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) भवन के सामने रास्ता जाम किया।
- अटलांटा, सेंट लुइस, ओकलैंड और एनापोलिस जैसे शहरों में भी भारी विरोध देखा गया।
प्रदर्शन की खास बातें:
- तख्तियों और नारों के साथ सड़कों पर उतरे लोग।
- ICE और ट्रंप प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी।
- कई स्थानों पर शांतिपूर्ण धरना और पैदल मार्च।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और विचार
लीसा गिल्बर्ट, पब्लिक सिटीजन संगठन की सह-अध्यक्ष ने कहा:
“हम देश के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। यह आंदोलन लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रताओं के बचाव की एक कोशिश है।”
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की कई नीतियां मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं और लोकतंत्र को कमजोर करती हैं। उनका उद्देश्य है—लोकतंत्र को पुनर्जीवित करना और जॉन लुईस जैसे नेताओं के विचारों को आगे बढ़ाना।
क्या यह बदलाव की लहर है?
अमेरिका में यह विरोध सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि उन नीतियों के खिलाफ है जो लोगों के अधिकारों को प्रभावित करती हैं। ‘गुड ट्रबल’ आंदोलन एक चेतावनी है कि अमेरिका की जनता अब खामोश नहीं बैठेगी।
यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि न्याय, समानता और लोकतंत्र की वापसी की पुकार है।