भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें जल्द ही कम हो सकती हैं। इसको लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अगले दो-तीन महीनों तक मौजूदा स्तर पर बनी रहीं, तो आम जनता को राहत मिल सकती है।
कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहीं, तो मिलेगा फायदा
हरदीप पुरी ने कहा:
- “अगर अगले कुछ महीनों तक कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहीं, तो भारत के पास पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की गुंजाइश होगी।”
- उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने तेल आपूर्ति के नए स्रोतों को जोड़ा है जिससे कीमतों में कमी आने की संभावना है।
भारत अब 40 देशों से मंगाता है तेल
एक बड़ा बदलाव यह है कि अब भारत केवल 27 नहीं, बल्कि 40 देशों से कच्चा तेल खरीद रहा है। इससे आयात नेटवर्क मजबूत हुआ है और अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में भारत की भागीदारी बढ़ी है।
- पहले केवल 27 देशों से था आयात
- अब 40 देशों से हो रहा है क्रूड ऑयल इम्पोर्ट
- भारत की हिस्सेदारी तेल मार्केट ग्रोथ में 16%
- रिपोर्ट्स के अनुसार यह बढ़कर 25% तक जा सकती है
ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत की रणनीति
मंत्री ने बताया कि भारत की प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा है। इसके लिए भारत ने अपने क्रूड ऑयल सोर्स को डाइवर्सिफाई किया है। जैसे-जैसे और स्रोत जुड़ते जाएंगे, कीमतों में राहत मिलनी तय मानी जा रही है।
“हमारे पास अब पर्याप्त कच्चा तेल है और विविध स्रोतों के चलते कीमतें नीचे आने की पूरी संभावना है।”
— हरदीप सिंह पुरी
रूस से सप्लाई रुकी, तो वैश्विक संकट संभव
रूस से तेल खरीदने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुरी ने साफ किया कि अगर रूस जैसे बड़े उत्पादक देश से सप्लाई बंद होती है, तो वैश्विक संकट आ सकता है।
- रूस दुनिया के कुल तेल उत्पादन का 10% करता है
- रूस की सप्लाई बंद होने पर तेल 130 डॉलर/बैरल तक जा सकता है
- अमेरिका की ओर से रूस पर सेकेंडरी सैंक्शन की धमकी भी चिंता का विषय
पुरी ने यह भी बताया कि रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने से ग्लोबल एनर्जी मार्केट को स्थिर रखने में मदद मिली है।
अगर रूस से आपूर्ति न होती, तो कीमतें 120–130 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती थीं।
क्या सस्ते होंगे पेट्रोल और डीजल?
अगर आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहीं और भारत की आपूर्ति रणनीति सफल रही, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है। भारत की ऊर्जा नीति में किया गया बदलाव, खासकर आयात नेटवर्क का विस्तार, इस दिशा में सकारात्मक संकेत है।