BY: Yoganand Shrivastva
पटना, बिहार की राजधानी पटना में रविवार को आयोजित ‘सनातन महाकुंभ’ कार्यक्रम में बागेश्वर धाम सरकार के मुखिया आचार्य धीरेंद्र शास्त्री और अन्य संतों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने राष्ट्र, संस्कृति और सनातन मूल्यों को लेकर कई बड़े बयान दिए।
‘हमारा सपना है भगवा-ए-हिन्द’
भीड़ को संबोधित करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“कुछ ताकतें भारत में गजवा-ए-हिन्द लाना चाहती हैं, लेकिन हमारा सपना है भगवा-ए-हिन्द। बिहार पहला ऐसा राज्य बनेगा जो हिन्दू राष्ट्र की दिशा में सबसे आगे खड़ा होगा।”
उन्होंने कहा कि पिछली बार सुरक्षा कारणों से उन्हें पटना आने की अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन अब वो फिर से पटना की धरती पर पहुंचे हैं और यहां की जनता से जुड़कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
‘हम सब हिन्दू एक हैं’
शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज भाषा, क्षेत्र और जातियों के नाम पर हिन्दुओं को बांटा जा रहा है, लेकिन यह विभाजन हमें स्वीकार नहीं।
“हमें कोई विरोधी परेशान नहीं करता, हमें दुख तब होता है जब हिन्दू ही जातियों के नाम पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होते हैं। हमारा उद्देश्य है – सभी हिन्दुओं को जोड़ना, सब एक हैं। हम किसी पार्टी या पालकी से नहीं, बल्कि हर उस पालकी से हैं जिसमें हिन्दू बैठा है।”
बिहार में भी होगी पदयात्रा
धीरेंद्र शास्त्री ने बिहार में भी पदयात्रा निकालने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि यह यात्रा आगामी चुनाव के बाद आयोजित की जाएगी, ताकि इसे राजनीतिक रंग न दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि 7 नवंबर से दिल्ली से वृंदावन तक उनकी यात्रा शुरू होगी, जिसके बाद बिहार की धरती पर भी बड़ी पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा।
“कुछ लोग तिरंगे में चांद ढूंढते हैं, लेकिन हम तो चांद पर तिरंगा लहराना चाहते हैं।”
स्वामी रामभद्राचार्य की हुंकार
इस कार्यक्रम में स्वामी रामभद्राचार्य भी शामिल हुए और उन्होंने भी धर्म, राष्ट्र और एकता पर जोर देते हुए कहा,
“वर्तमान में देश के कई हिस्सों में तनाव का माहौल है, लेकिन सनातन धर्म के अनुयायियों को डरने की जरूरत नहीं है। जो ‘वंदे मातरम्’ कहेगा, वही भारत पर राज करेगा।”
उन्होंने विश्वास जताया कि जैसे अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ, वैसे ही सीतामढ़ी में माता सीता का भव्य मंदिर भी जरूर बनेगा।
उन्होंने आगे कहा,
“सनातन धर्म को बांटने या काटने की कोशिश करने वाला खुद ही बंट और कट जाएगा।”
निष्कर्ष:
पटना के ‘सनातन महाकुंभ’ में जिस प्रकार से हिन्दू एकता और सनातन मूल्यों की हुंकार भरी गई, उससे यह स्पष्ट है कि धार्मिक नेतृत्व अब सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के नए आंदोलन की ओर बढ़ रहा है। धीरेंद्र शास्त्री और स्वामी रामभद्राचार्य के संदेशों ने बिहार की भूमि पर हिन्दू एकता की नई चिंगारी को हवा दी है, जिसका असर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है।