शिवराज सिंह चौहान सबसे प्रबल दावेदार क्यों हैं?
BY: VIJAY NANDAN
भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की दहलीज पर खड़ी है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर चर्चाएं तेज़ हैं। अब जबकि भाजपा ने संगठनात्मक रूप से ज़रूरी कदम पूरे कर लिए हैं, ऐसे में नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकती है।
तो कौन होगा भाजपा का अगला अध्यक्ष? कौन-कौन हैं दावेदार? और ये चुनाव कैसे होता है? आइए, जानते हैं विस्तार से।
क्यों जरूरी हो गया है नया अध्यक्ष चुनना?
भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनवरी 2023 में अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी ने उनके कार्यकाल को जून 2024 तक बढ़ा दिया। अब चुनाव समाप्त हो चुके हैं और नड्डा का कार्यकाल एक बार फिर अस्थायी रूप से बढ़ाया गया है।
लेकिन भाजपा का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी हो। और अब पार्टी इस शर्त को पूरा कर चुकी है।
26 राज्यों में नियुक्त हुए हैं नए प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा ने हाल ही में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की है। इनमें शामिल हैं:
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- तेलंगाना
- आंध्र प्रदेश
- उत्तराखंड
- हिमाचल प्रदेश
- मिजोरम
- पुडुचेरी
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
- और हाल ही में 7 अन्य राज्य + 2 केंद्र शासित प्रदेश
इन नियुक्तियों के साथ ही अब पार्टी के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की वैधानिक स्थिति बन चुकी है।
भाजपा अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बेहद सुव्यवस्थित है। अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया कुछ चरणों में होती है:
- ब्लॉक स्तर पर चुनाव संपन्न होते हैं।
- इसके बाद जिला अध्यक्षों का चुनाव होता है।
- फिर राज्य अध्यक्ष चुने जाते हैं।
- जब आधे से अधिक राज्यों में राज्य अध्यक्ष बन जाते हैं, तभी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव किया जा सकता है।
इस बार पार्टी एक केंद्रीय चुनाव समिति गठित कर सकती है, जो नामांकन, जांच और आवश्यकतानुसार मतदान की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करेगी।

कौन-कौन हैं भाजपा अध्यक्ष पद की रेस में?
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुल 6 नाम प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। आइए, इन नेताओं के प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं:
1. शिवराज सिंह चौहान
- वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री
- पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
- ज़मीनी पकड़ और जनसंघ काल से जुड़ाव
- संगठनात्मक कौशल और राष्ट्रीय स्वीकार्यता का मजबूत चेहरा
- लंबा प्रशासनिक अनुभव
शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
उन्होंने राज्य को विकास की नई राह पर लाने का दावा किया और कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाईं, जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान योजना, और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना। उनके नेतृत्व को न केवल भाजपा के भीतर, बल्कि आम जनता के बीच भी स्वीकार्यता मिली।
- मजबूत संगठनात्मक पकड़
शिवराज का संघ और जनसंघ से पुराना रिश्ता रहा है।
वे छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और पार्टी की संगठनात्मक रीति-नीति को गहराई से समझते हैं। वे आम कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक, सभी वर्गों में स्वीकार्य नेता हैं।
- मृदुभाषी और सर्वसमावेशी छवि
शिवराज को अक्सर “मामा” कहकर पुकारा जाता है, जो उनकी लोकप्रियता और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। वे विवादों से दूर रहते हैं, सभी वर्गों और जातियों में स्वीकार्यता रखते हैं। यही वजह है कि वे पार्टी में एकता और सामंजस्य बनाए रखने वाले नेता के रूप में देखे जाते हैं। - राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
शिवराज सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने राष्ट्रीय मंचों पर भी भाजपा का नेतृत्व किया है। चाहे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी हो या चुनाव प्रचार—हर जगह उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों में चुनावी रणनीति को प्रभावित किया है।
- 2029 की तैयारी और जनाधार विस्तार
2024 लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा का फोकस अब 2029 की तैयारी पर है। शिवराज जैसा चेहरा पार्टी को ग्रामीण भारत, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के बीच लोकप्रियता दिला सकता है। वे ऐसे नेता हैं जो “विकास” और “विचारधारा” दोनों का संतुलन साध सकते हैं। - शिवराज सिंह चौहान भाजपा के उस विरले नेताओं में से हैं जो नीतिगत समझ, ज़मीनी जुड़ाव और राष्ट्रीय नेतृत्व क्षमता, तीनों के मेल से लैस हैं। अगर पार्टी अनुभव, संतुलन और स्वीकार्यता को प्राथमिकता देती है, तो शिवराज सिंह चौहान का नाम स्वाभाविक रूप से सबसे ऊपर आता है।
संभव है कि आने वाले समय में भाजपा की कमान एक ऐसे नेता के हाथ में जाए जो ‘मामा’ से ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ तक का सफर तय करे!
2. मनोहर लाल खट्टर
- पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा
- संघ पृष्ठभूमि और गहरी प्रशासनिक समझ
- हिंदी बेल्ट के बाहर संतुलन बनाने में सक्षम चेहरा
3. भूपेंद्र यादव
- वर्तमान श्रम मंत्री
- संगठन के पुराने खिलाड़ी और जातीय संतुलन के माहिर
- पश्चिम भारत (राजस्थान) का प्रतिनिधित्व
4. धर्मेंद्र प्रधान
- शिक्षा मंत्री, ओडिशा से
- पूर्वी भारत में पार्टी के विस्तार के लिए रणनीतिक चेहरा
- संगठन और सरकार, दोनों में कुशल संतुलन
5. सुनील बंसल
- भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव
- यूपी में संगठन को मज़बूती देने वाले जमीनी रणनीतिकार
- युवा नेतृत्व का प्रतीक
6. विनोद तावड़े
- शिक्षा और संगठन में सक्रिय
- महाराष्ट्र से आते हैं, जिससे क्षेत्रीय संतुलन को साधा जा सकता है
बीजेपी किन बातों को ध्यान में रखेगी?
अध्यक्ष चयन के लिए पार्टी तीन मुख्य बिंदुओं पर गौर कर रही है:
- संगठनात्मक अनुभव: जिससे नेतृत्व कुशलता से काम कर सके
- क्षेत्रीय संतुलन: उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम—हर क्षेत्र की समान भागीदारी
- जातीय-सामाजिक समीकरण: ताकि सामाजिक विविधता और समर्थन बना रहे
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पार्टी की अगली रणनीतिक दिशा तय करने वाला फैसला होगा। नया अध्यक्ष 2029 की तैयारी का केंद्र बिंदु बन सकता है। पार्टी का फोकस अब सिर्फ संगठन विस्तार नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए स्थायी नेतृत्व देने की ओर बढ़ रहा है।