BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर , ग्वालियर शहर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति ने दावा किया है कि उसने जो साबुन स्थानीय दुकान से खरीदा था, उसके अंदर ब्लेड मौजूद था। यह घटना तब सामने आई जब उसके बेटे ने उस साबुन से मुंह धोते समय खून बहने की शिकायत की।
बच्चे के मुंह से बहा खून, साबुन से निकला ब्लेड
आनंद नगर निवासी अंगद तोमर (44) ने 21 मई को डबल रोड स्थित एक किराना स्टोर से साबुन खरीदा था। घर पहुंचने के कुछ देर बाद उनके बेटे ने उसी साबुन से चेहरा धोया, जिसके दौरान उसे तेज चुभन महसूस हुई और उसके मुंह से खून बहने लगा। जब बच्चे ने रोते हुए पिता को बुलाया और बाथरूम ले गया, तो उन्होंने साबुन की जांच की।
जांच करने पर साबुन के भीतर से एक ब्लेड निकला, जिसमें स्पष्ट रूप से बैच नंबर और निर्माण तिथि भी दर्ज थी। इस घटना ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया।
दूसरा साबुन भी निकला संदिग्ध
घटना के तुरंत बाद अंगद तोमर संबंधित किराना दुकानदार के पास पहुंचे और पूरा मामला बताया। दुकानदार ने भी आश्चर्य व्यक्त किया और क्षतिपूर्ति के रूप में एक दूसरा साबुन दिया। लेकिन जब उस दूसरे साबुन को खोलकर देखा गया, तो उसमें भी ब्लेड का टुकड़ा मिला, जिससे आसपास के लोग भी चौंक गए और बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हो गए।
शिकायत दर्ज, आयोग में केस
घटना की गंभीरता को देखते हुए अंगद तोमर ने पहले उपभोक्ता संरक्षण विभाग की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। जब वहां से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद दायर किया।
3.5 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग
परिवादी ने आयोग से 3.5 लाख रुपये हर्जाना और वाद दर्ज कराने में हुए खर्च के लिए 50 हजार रुपये की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मांग की है। मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि इस घटना से न केवल शारीरिक नुकसान हुआ है, बल्कि मानसिक रूप से भी परिवार को झटका लगा है।
दुकानदार और कंपनी को नोटिस
आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद 30 जून 2025 को साबुन निर्माता कंपनी और संबंधित दुकानदार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। दुकानदार ने अपनी सफाई में कहा है कि उसे माल की पैकिंग के अंदर क्या है, इसकी कोई जानकारी नहीं होती।
इस मामले ने उपभोक्ता सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक साधारण घरेलू उत्पाद के भीतर इस तरह की घातक चीज़ का मिलना, न सिर्फ लापरवाही दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता जांच कितनी लचर हो चुकी है। अब देखना होगा कि आयोग इस मामले में क्या निर्णय देता है और उपभोक्ता को कितना न्याय मिल पाता है।