BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की तेजतर्रार सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग के एक हालिया आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। यह आदेश बिहार राज्य में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण से जुड़ा है, जिसे महुआ मोइत्रा ने पक्षपातपूर्ण, असंवैधानिक और गरीब, महिलाएं व प्रवासी मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है।
याचिका में क्या कहा गया?
महुआ मोइत्रा की ओर से दायर याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में अन्य राज्यों में इस प्रकार का आदेश न जारी किया जाए। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया वोटिंग अधिकारों को सीमित करने की एक रणनीति है और इससे बड़ी संख्या में वंचित वर्गों के नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं।
हाल ही में क्यों रहीं चर्चा में?
महुआ मोइत्रा हाल ही में अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी सुर्खियों में रही हैं। उन्होंने पूर्व बीजद सांसद और वरिष्ठ वकील पिनाकी मिश्रा से जर्मनी के बर्लिन शहर में विवाह किया था। इसके साथ ही वह उस विवाद में भी घिरीं, जब TMC के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि “महुआ शादी कर हनीमून से लौटते ही मुझसे लड़ने लगीं”। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि महुआ ने एक परिवार तोड़ने का प्रयास किया है।
कौन हैं महुआ मोइत्रा?
महुआ मोइत्रा भारतीय संसद की चर्चित और मुखर नेताओं में गिनी जाती हैं। वे पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से लोकसभा सांसद हैं और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख चेहरों में से एक हैं। केंद्र सरकार की नीतियों पर उनके तीखे भाषण और विचार उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में अलग पहचान दिलाते हैं।
उनका जन्म 12 अक्टूबर 1974 को असम के कछार ज़िले के लाबाक में हुआ था। वे एक बंगाली ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। शुरुआती शिक्षा कोलकाता के गोखले मेमोरियल गर्ल्स स्कूल में हुई और आगे की पढ़ाई अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित माउंट होलोक कॉलेज से की, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र और गणित में डिग्री हासिल की।
राजनीति में आने से पहले महुआ एक सफल कॉरपोरेट करियर का हिस्सा थीं। उन्होंने जेपी मॉर्गन चेज़ बैंक में निवेश बैंकिंग के क्षेत्र में न्यूयॉर्क और लंदन में काम किया, जहां वे उपाध्यक्ष (Vice President) पद तक पहुँचीं। वर्ष 2009 में उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर छोड़कर भारत लौटने और सामाजिक सेवा से जुड़ने का फैसला लिया।