झारखंड के रामगढ़ जिले में एक बंद कोयला खदान में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। शनिवार सुबह कुजू क्षेत्र में खदान का एक हिस्सा अचानक ढह गया, जिससे 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
मृतकों की पहचान और हालात
इस हादसे में जिन 4 लोगों की मौत हुई है, उनकी पहचान इस प्रकार हुई है:
- मोहम्मद इम्तियाज
- रामेश्वर मांझी
- वकील करमाली
- निर्मल मुंडा
ये सभी आसपास के गांवों के निवासी थे। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
रामगढ़ के एसडीपीओ परमेश्वर प्रसाद ने जानकारी दी कि राहत-बचाव कार्य पूरा कर लिया गया है और मलबा पूरी तरह हटा दिया गया है। फिलहाल मलबे में किसी और के फंसे होने की संभावना नहीं है।
CCL पर लापरवाही का आरोप, प्रशासन ने भेजा नोटिस
यह दुर्घटना सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की एक बंद खदान में अवैध खनन के चलते हुई। पुलिस अधीक्षक अजय कुमार के मुताबिक, खदान में सुरक्षा के इंतजाम मौजूद थे, लेकिन फिर भी कुछ ग्रामीण वहां अवैध रूप से कोयला निकालने पहुंचे।
इस लापरवाही को लेकर जिला प्रशासन ने CCL को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
ग्रामीणों का विरोध और मुआवजे की मांग
हादसे के बाद ग्रामीणों में गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने CCL कर्मा परियोजना कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और मृतकों के परिवार को 20-20 लाख रुपये, जबकि घायलों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग रखी।
ग्रामीण मोहम्मद कलाम ने कहा, “अगर खदान के आसपास पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होती और अवरोधक लगे होते, तो यह हादसा टाला जा सकता था।”
हालांकि CCL और ग्रामीणों के बीच मुआवजे को लेकर बैठक हुई, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटना पर राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है:
- केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
- BJP प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने घटना को “हत्या” बताया और उच्चस्तरीय जांच की मांग रखी। उन्होंने कहा कि,
“राज्य सरकार की ढिलाई और कोयला माफियाओं के कारण बंद खदानें फिर से अवैध रूप से सक्रिय हो गई हैं। यही हादसे का कारण है।”
मरांडी ने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी जताई।
रामगढ़ की इस घटना ने एक बार फिर झारखंड में अवैध खनन की गंभीरता और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर रोजी-रोटी के लिए खदान में उतरते हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी और कंपनियों की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है।