उत्तर प्रदेश की एटीएस ने एक बड़े धर्मांतरण गिरोह का खुलासा करते हुए बलरामपुर से जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तारी के साथ ही एक ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है जो ‘प्यार, पैसा और पहचान’ के नाम पर लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवा रहा था।
गिरोह का तरीका: धोखे, ब्लैकमेलिंग और लालच
इस गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद सुनियोजित थी:
- मुस्लिम युवकों को हिंदू नाम देकर ब्राह्मण, ठाकुर और ओबीसी लड़कियों से दोस्ती करवाई जाती थी।
- इसके बाद झांगुर बाबा की दरगाह ले जाकर धर्म परिवर्तन करवाया जाता था।
- धर्म बदलने के बाद नाम बदलकर मुस्लिम नाम दिया जाता।
- मना करने पर फर्जी मुकदमे या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती।
गुंजा गुप्ता केस इसका ज्वलंत उदाहरण है। उसे ‘अमित’ बनकर फंसाया गया और फिर दरगाह ले जाकर उसका नाम ‘अलीना अंसारी’ रख दिया गया।
जाति के आधार पर तय थे रेट
एटीएस की जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह ने धर्मांतरण की दरें जाति के अनुसार तय की थीं:
जाति | भुगतान राशि |
---|---|
ब्राह्मण/ठाकुर/सिख लड़कियाँ | ₹15-16 लाख |
पिछड़ी जाति | ₹10-12 लाख |
अन्य | ₹8-10 लाख |
ये रकम विदेशी फंडिंग से आती थी और धर्म परिवर्तन के साथ-साथ संपत्तियाँ खरीदने में इस्तेमाल होती थी।
100 करोड़ की फंडिंग और 40 विदेश यात्राएं
एटीएस को जांच में मिले कुछ और अहम सुराग:
- गिरोह के पास 40 से ज्यादा बैंक अकाउंट, जिनमें असली और फर्जी नाम शामिल
- करीब 100 करोड़ रुपये का लेन-देन, जिनसे शोरूम, बंगले और लग्जरी गाड़ियां खरीदी गईं
- झांगुर बाबा ने 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की
- उद्देश्य: गजवा-ए-हिंद जैसे कट्टरपंथी एजेंडे को बढ़ावा देना
ब्रेनवॉश की किताब ‘शिजर-ए-तैय्यबा’
छांगुर बाबा ने ‘शिजर-ए-तैय्यबा’ नाम की एक किताब प्रकाशित कराई थी जो इस गिरोह के ब्रेनवॉश का मुख्य हथियार थी। इस पुस्तक के जरिए इस्लामिक कट्टरता और धर्म परिवर्तन को जायज ठहराया जाता था।
नेटवर्क में कौन-कौन शामिल?
हालांकि छांगुर बाबा की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन एटीएस के मुताबिक यह नेटवर्क अब भी सक्रिय है। जांच में सामने आए कुछ अन्य नाम:
- महबूब
- पिंकी हरिजन
- हाजिरा शंकर
- सगीर
- कथित पत्रकार एमेन रिजवी
- नीतू उर्फ नसरीन (झांगुर बाबा के साथ गिरफ्तार)
एटीएस इन सभी की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है।
एडीजी का बयान: अवैध धर्मांतरण की गहराई बहुत अधिक
एडीजी (कानून व्यवस्था) अमिताभ यश के अनुसार:
“छांगुर बाबा खुद को सूफी संत बताता था और लोगों को झूठी पहचान और पद का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता था। जांच में उसके 40 बैंक खातों, 100 करोड़ की फंडिंग और नाबालिगों तक को निशाना बनाने की पुष्टि हुई है।”
एक गिरफ्तारी, लेकिन खतरा अभी कायम
छांगुर बाबा की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता जरूर है, लेकिन यह संगठित नेटवर्क की शुरुआत भर है। यूपी एटीएस की जांच अब अन्य शहरों और राज्यों तक फैल चुकी है।
सरकार और एजेंसियों के लिए यह समय है सजग और सक्रिय रहने का, ताकि धार्मिक सद्भावना को नुकसान पहुंचाने वाली इस साजिश को पूरी तरह खत्म किया जा सके।