BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर, मध्यप्रदेश , इंदौर के विजय नगर क्षेत्र स्थित स्कीम नंबर 54 में गुरुवार दोपहर उस समय अफरातफरी मच गई, जब सड़क का एक बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया। देखते ही देखते एक गहरा गड्ढा बन गया, जिससे वहां से गुजरने वालों की जान खतरे में आ गई। गनीमत रही कि स्थानीय नागरिकों की सतर्कता और तुरंत की गई कार्रवाई से किसी बड़े हादसे को टाल दिया गया।
स्थानीय लोगों ने संभाला मोर्चा
घटना के समय लोग खुद ही हरकत में आए और आस-पास चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट के बैरिकेड्स लाकर स्थल को घेर दिया, जिससे यातायात रोका जा सके और कोई वाहन या राहगीर उसमें न गिरे। नागरिकों की तत्परता ने नगर निगम की धीमी रफ्तार को एक बार फिर उजागर कर दिया।
नगर निगम की टीम पहुंची देरी से
स्थानीय निवासी रितेश ने बताया कि क्षेत्र में कुछ दिनों पहले ड्रेनेज लाइन का काम पूरा किया गया था। उसी के बाद से ही पानी का रिसाव शुरू हो गया था। गुरुवार को दोपहर तक रिसाव के चलते सड़क धंस गई। इस पर तुरंत नगर निगम को सूचना दी गई, लेकिन निगम की टीम दो घंटे की देरी से पहुंची। तब तक लोगों ने ही जगह को सुरक्षित बना दिया था।
घटिया निर्माण पर सवाल
स्थानीय लोगों ने इस हादसे का जिम्मेदार सीधे तौर पर हाल ही में कराए गए ड्रेनेज लाइन के घटिया काम को ठहराया। उनका कहना है कि आए दिन शिकायत करने के बावजूद न तो निरीक्षण किया गया और न ही कोई सुधारात्मक कार्रवाई। रहवासियों ने आरोप लगाया कि निर्माण में मानकों की अनदेखी और जल्दबाजी में किया गया काम इस हादसे की वजह बना है।
नगर निगम का तर्क – पुरानी सड़क थी
हालांकि नगर निगम के अधिकारियों ने इसे बड़ा हादसा मानने से इनकार करते हुए कहा कि संबंधित क्षेत्र की सड़क करीब 20 साल पुरानी थी, जो समय के साथ कमजोर हो गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, मरम्मत का काम तुरंत शुरू कर दिया गया है और जल्द ही सड़क को पुनः चालू कर दिया जाएगा।
यातायात प्रभावित, लोग परेशान
घटना के चलते क्षेत्र में करीब तीन घंटे तक यातायात बाधित रहा। आसपास के वाहन चालकों को वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ा। साथ ही, नागरिकों ने भविष्य की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए। उनकी मांग है कि ऐसे हादसों से पहले ही संभावित जोखिम का निरीक्षण कर आवश्यक मरम्मत की जाए, ताकि जानमाल का नुकसान न हो।
नागरिकों की मांग – हो कार्रवाई, न चले लीपापोती
स्थानीय निवासियों ने निगम से ड्रेनेज कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराने, संबंधित ठेकेदार और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अब भी प्रशासन चेतता नहीं है, तो जन आंदोलन और शिकायत की प्रक्रिया तेज की जाएगी।