उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में एक भव्य कॉरिडोर बनाने की तैयारी तेज कर दी है। इस परियोजना का मकसद श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुगम और गरिमापूर्ण दर्शन अनुभव देना है।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस विकास कार्य से मंदिर के सेवायतों (गोस्वामी समाज) के पारंपरिक अधिकारों और भूमिकाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केवल मंदिर के बाहरी क्षेत्र में विकास कार्य किया जाएगा।
आसान और सुरक्षित दर्शन की व्यवस्था
अक्सर भीड़भाड़ के कारण भगदड़ जैसी घटनाएं और अव्यवस्था सामने आती है। नया कॉरिडोर इन समस्याओं का स्थायी समाधान बन सकता है:
- बेहतर भीड़ प्रबंधन
- श्रद्धालुओं के लिए सुगम और व्यवस्थित दर्शन
- संरचनात्मक सौंदर्य और श्रद्धा का संगम
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शुरू हुई योजना
यह परियोजना सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत शुरू की गई है। कोर्ट ने मंदिर क्षेत्र की अव्यवस्थाओं पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
इसके तहत सरकार मंदिर के आसपास की लगभग 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगी।
विस्थापितों के लिए मुआवजे की व्यवस्था
परियोजना से प्रभावित होने वाले लोगों को लेकर सरकार ने पूरी संवेदनशीलता दिखाई है:
- जिनकी दुकान प्रभावित होगी, उन्हें नई दुकान मिलेगी
- जिनका मकान प्रभावित होगा, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा
अव्यवस्था से समाधान की ओर
बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र में 1939 से सिविल कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर कार्यरत है, फिर भी अव्यवस्थाएं बनी हुई हैं।
कॉरिडोर निर्माण से ये समस्याएं दूर होंगी और:
- भीड़ नियंत्रण बेहतर होगा
- सुरक्षा और सुविधा दोनों में सुधार आएगा
श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाएं
नया कॉरिडोर सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि एक संपूर्ण श्रद्धालु सेवा केंद्र होगा, जिसमें होंगे:
- शुद्ध पेयजल
- विश्राम स्थल
- स्वच्छ शौचालय
- प्राथमिक चिकित्सा केंद्र
- लॉकर सुविधा
पर्यटन को मिलेगा बड़ा बूस्ट
सरकार का मानना है कि कॉरिडोर बन जाने के बाद मथुरा में पर्यटकों की संख्या में चार गुना वृद्धि हो सकती है। इसके चलते:
- स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा
- रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
- अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा
गोस्वामी समाज के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित
कॉरिडोर निर्माण को लेकर गोस्वामी समाज में जो चिंता थी, उस पर भी सरकार ने स्थिति साफ कर दी है।
सरकार ने स्पष्ट किया:
- गोस्वामी सेवायतों की परंपराएं और अधिकार यथावत रहेंगे
- मंदिर सेवा में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना एक आध्यात्मिक विकास और संरचनात्मक उन्नयन का उदाहरण है।
यह न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी गति देगा।
साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि परंपराओं और सेवायत अधिकारों का सम्मान बना रहे।