भोपाल, मध्य प्रदेश – भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पचमढ़ी के सतपुड़ा की वादियों से एक ऐसी आवाज़ उठी, जिसने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया। यह आवाज़ थी राजा भभूत सिंह की, जो जनजातीय समाज के वीर नायक और अंग्रेजों के लिए काल साबित हुए।
3 जून 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में पचमढ़ी में विशेष कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें राजा भभूत सिंह की वीरता और बलिदान को सम्मानित किया जाएगा। यह बैठक न केवल उनके साहस को याद करेगी बल्कि उनकी विरासत को समृद्ध करने के लिए कई प्रस्तावों पर भी चर्चा करेगी।
राजा भभूत सिंह: जनजातीय समाज के महान स्वतंत्रता सेनानी
हर्राकोट के जागीरदार राजा भभूत सिंह न केवल एक शासक थे, बल्कि उन्होंने जनजातीय समाज को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता आंदोलन की अलख जलाई।
- उन्होंने जनजातीय समुदाय को जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए एकजुट किया।
- शिवाजी के गुरिल्ला युद्ध नीति से प्रेरित होकर अंग्रेजों पर छापामार हमले किए।
- उनकी रणनीति से अंग्रेज सेना कई बार चकमा खा गई और मद्रास इन्फेंट्री तक को बुलाना पड़ा।
सतपुड़ा की वादियों में लड़ी आज़ादी की जंग
1857 की क्रांति के दौरान राजा भभूत सिंह ने तात्या टोपे के साथ मिलकर नर्मदा नदी के किनारे और पचमढ़ी की पहाड़ियों में स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति बनाई।
- अक्टूबर 1858 में दोनों ने नर्मदा पार की और आठ दिन तक पचमढ़ी के जंगलों में अगली लड़ाई की योजना बनाई।
- देनवा घाटी के युद्ध में अंग्रेजों को करारी हार दी।
- 1860 तक ब्रिटिश सेना से लगातार टकराते रहे और जनजातीय समाज के लिए प्रेरणा बने।
मोहन यादव सरकार का सम्मान और विकास का संदेश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार जनजातीय नायकों को सम्मान देने और उनकी विरासत को संजोने के उद्देश्य से काम कर रही है। इस बैठक में शामिल होंगे:
- राजा भभूत सिंह की प्रतिमा स्थापना के प्रस्ताव।
- किसी संस्थान या योजना का उनके नामकरण।
- जनजातीय समाज के विकास और संरक्षण की योजना।
यह पहल मध्य प्रदेश में जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का एक अहम कदम है।
राजा भभूत सिंह की विरासत का वर्तमान में महत्व
राजा भभूत सिंह की कहानी हमें याद दिलाती है कि स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नेता भी कितने महत्वपूर्ण थे, जिनका इतिहास अक्सर छुपा रहता है।
- उनकी गुरिल्ला रणनीति आज भी सैन्य विज्ञान के लिए उदाहरण है।
- जल-जंगल-जमीन के संरक्षण के मुद्दे आज भी जनजातीय जीवन की रीढ़ हैं।
- उनके सम्मान से मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है।
निष्कर्ष: एक सच्चे जनजातीय योद्धा की याद
मध्य प्रदेश सरकार की यह पहल राजा भभूत सिंह के शौर्य को अमर करने के साथ-साथ जनजातीय समाज की ताकत और गौरव को उजागर करती है। पचमढ़ी में होने वाली यह कैबिनेट बैठक न केवल इतिहास को याद करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगी।
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