कांग्रेस नेता राहुल गांधी के शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने के आह्वान के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जल्द से जल्द ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लाने का वादा किया है। सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि उनकी सरकार सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है।
सिद्धारमैया का बड़ा ऐलान
सिद्धारमैया ने लिखा, “मैं राहुल गांधी का उनके हृदयस्पर्शी पत्र और सामाजिक न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त करता हूं। हमारी सरकार कर्नाटक में रोहित वेमुला एक्ट लागू करने के प्रति दृढ़ है, ताकि कोई भी छात्र जाति, वर्ग या धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार न हो। यह कानून रोहित, पायल, दर्शन और अन्य ऐसे छात्रों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा, जिन्हें गरिमा के साथ जीने का अधिकार था, न कि बहिष्कार का। यह डॉ. बी.आर. अंबेडकर के समान और संवेदनशील भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।”
राहुल गांधी ने अंबेडकर का किया स्मरण
राहुल गांधी ने सिद्धारमैया को लिखे पत्र में डॉ. अंबेडकर के विचारों को याद करते हुए भारतीय शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव की समस्या पर प्रकाश डाला। उन्होंने दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के छात्रों व शिक्षकों के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव व्याप्त है।
राहुल ने लिखा, “बाबासाहेब अंबेडकर ने साबित किया था कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा सबसे वंचित लोग भी सशक्त हो सकते हैं और जाति व्यवस्था को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी हमारी शिक्षा प्रणाली में लाखों छात्र जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे हैं। इस भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की जान ले ली।”
उन्होंने इन घटनाओं को “घृणित” बताते हुए कहा कि “यह अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
क्या है रोहित वेमुला एक्ट?
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि अगर केंद्र में सरकार बनती है, तो वह राष्ट्रीय स्तर पर ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू करेगी। इसका उद्देश्य शैक्षणिक परिसरों में जाति और सांप्रदायिक हिंसा को रोकना है, ताकि कोई भी सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा छात्र रोहित वेमुला जैसी स्थिति का सामना न करे।

रोहित वेमुला केस क्या है?
रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र थे। जनवरी 2016 में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। वह अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ASA) के सदस्य थे और उन पर ABVP (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के छात्रों के साथ विवाद के बाद हॉस्टल से निलंबित कर दिया गया था।
दिसंबर 2015 में विश्वविद्यालय ने उन्हें कैंपस के सामान्य क्षेत्रों में प्रवेश से रोक दिया था, जिसे सामाजिक बहिष्कार माना गया। अपनी आत्महत्या नोट में रोहित ने जातिगत भेदभाव की पीड़ा को उजागर किया था।
मई 2024 में तेलंगाना पुलिस ने केस को बंद करते हुए कहा कि रोहित दलित नहीं थे और उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। इस रिपोर्ट पर व्यापक विवाद हुआ था।
निष्कर्ष
कर्नाटक सरकार का यह कदम शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है। अगर यह कानून लागू होता है, तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।