क्या आप जानते हैं कि कश्मीर की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी — कश्मीर यूनिवर्सिटी — इस वक्त एक भारी स्टाफ संकट से गुजर रही है? जी हां, एक आरटीआई (RTI) से पता चला है कि यहां करीब 570 पद खाली पड़े हैं। मतलब, हर पांच में से एक पोस्ट पर कोई कर्मचारी ही नहीं है।
यह जानकारी जम्मू के एक्टिविस्ट रमन कुमार शर्मा द्वारा दाखिल की गई RTI के जवाब में सामने आई है। यूनिवर्सिटी के सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर गुलाम मोहम्मद वानी ने इस आंकड़े की पुष्टि की है।
कहां-कहां हैं सबसे ज्यादा कमी?
- प्रोफेसर: 56 में से सिर्फ 9 पद भरे हुए हैं।
- एसोसिएट प्रोफेसर: 120 में से 91 पोस्ट खाली हैं।
- असिस्टेंट प्रोफेसर: 371 में से 80 पद खाली।
- डायरेक्टर लेवल पोस्ट: 7 में से 5 खाली।
- जूनियर असिस्टेंट जैसे प्रशासनिक पद: 110 पद खाली।
अब सोचिए, जब इतने बड़े स्तर पर टीचिंग और प्रशासनिक स्टाफ की कमी होगी, तो छात्रों की पढ़ाई और यूनिवर्सिटी का कामकाज कैसे प्रभावित नहीं होगा?
सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कर रहे हैं?
यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट रजिस्ट्रार वानी का कहना है कि खाली पदों को भरने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। यानी “काम चल रहा है”, लेकिन कब पूरा होगा — इसका जवाब किसी के पास नहीं।
इससे क्या असर पड़ेगा?
- छात्रों को जरूरी गाइडेंस नहीं मिल पाती।
- रिसर्च और प्रोजेक्ट्स ठप हो जाते हैं।
- बाकी स्टाफ पर वर्कलोड बढ़ जाता है।
- यूनिवर्सिटी की रैंकिंग और विश्वसनीयता पर असर पड़ता है।
अब सवाल उठता है…
- इतने लंबे समय से ये पद क्यों खाली हैं?
- क्या ये केवल प्रशासनिक लापरवाही है?
- या फिर सरकार की ओर से उच्च शिक्षा को नजरअंदाज करने की एक और मिसाल?
जब देशभर में नई यूनिवर्सिटीज़ और इंस्टीट्यूट्स खोलने की बात हो रही है, तब कश्मीर यूनिवर्सिटी जैसी पुरानी संस्था में इतने पद खाली रहना एक गंभीर चिंता का विषय है।