by: vijay nandan
नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में आमतौर पर विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष पर हमले होते हैं, लेकिन सोमवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। मामला मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने और संविधान में संशोधन के बयान को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों ने इस मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में कहा, “हमारी मंशा शून्यकाल में बाधा डालने की नहीं है, लेकिन यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे उठाना जरूरी है।” उन्होंने बताया कि एनडीए सांसदों ने उनसे मुलाकात कर इस मामले को सदन में लाने की मांग की थी।

रिजिजू ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि इस नेता ने दावा किया है कि वह मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने के लिए संविधान में बदलाव करेंगे। रिजिजू ने इसे हल्के में न लेने की बात कहते हुए कहा, “अगर यह बयान कोई आम आदमी देता, तो उसका जवाब बाहर दिया जाता, लेकिन यह एक जिम्मेदार कांग्रेस नेता का बयान है। यह संविधान पर सीधा हमला है।”
इसके बाद, रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से सीधे सवाल किया, “खरगे जी, आप सदन में मौजूद हैं। कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट करें। आप मुस्लिम समुदाय को आरक्षण कैसे देंगे और संविधान में क्या बदलाव करने जा रहे हैं?”
इस पर खरगे ने कांग्रेस का बचाव करते हुए कहा, “हमारा दल संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सत्ता पक्ष इस मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। हमारी नीति समावेशी विकास की रही है, न कि संविधान से छेड़छाड़ की।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने संविधान को बचाने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा निकाली थी। “संविधान को कोई समाप्त नहीं कर सकता,” खरगे ने कहा। खरगे के जवाब के बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा और कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।
कर्नाटक में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा
कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का मुद्दा फिर से गरमाया हुआ है। हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सरकारी ठेकों और आपूर्ति में मुस्लिम समुदाय के लिए 4% आरक्षण देने की घोषणा की थी, जिस पर विवाद शुरू हो गया। इससे पहले, 2023 में बीजेपी सरकार ने मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटे के तहत 4% आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था और इसे वोकलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांट दिया था।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद इस फैसले को पलटने का वादा किया था और अब इसे लागू कर दिया है। सरकार का तर्क है कि यह कदम अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए जरूरी है, लेकिन विपक्षी बीजेपी ने इसे वोटबैंक की राजनीति और तुष्टिकरण करार दिया है। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह संविधान के खिलाफ है और कांग्रेस की सोच को उजागर करता है।” वहीं, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बीजेपी पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
जेपी नड्डा और डीके शिवकुमार का बयान
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले पर कहा, “कांग्रेस हमेशा संविधान से छेड़छाड़ करती रही है और अब मुस्लिम आरक्षण को लेकर भी यही कर रही है।” वहीं, डीके शिवकुमार ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “बीजेपी संविधान का उल्लंघन कर रही है और इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उबालने की कोशिश कर रही है।”
भारत में मुस्लिमों को आरक्षण देने की व्यवस्था
भारत में मुस्लिमों को आरक्षण देने की व्यवस्था विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। कुछ राज्यों में मुस्लिम समुदाय को ओबीसी या अल्पसंख्यक आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
- कर्नाटक: हाल ही में कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण देने का निर्णय लिया था, जिसे बीजेपी सरकार ने पहले असंवैधानिक ठहराया था।
- तेलंगाना: तेलंगाना सरकार ने मुस्लिमों के लिए 4% आरक्षण की व्यवस्था की है।
- उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग माना गया है, जिससे उन्हें कुछ योजनाओं में लाभ मिलता है।
- महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भी मुस्लिम समुदाय को ओबीसी आरक्षण के तहत लाभ प्राप्त है।
यह विषय भारतीय राजनीति में हमेशा ही विवादास्पद रहा है, और आरक्षण के मुद्दे पर विभिन्न दलों की अलग-अलग राय है।
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