चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने अपने हालिया बजट दस्तावेज़ में भारतीय रुपये के प्रतीक ‘₹’ की जगह तमिल लिपि का चिन्ह ‘ரூ’ इस्तेमाल किया है। यह परिवर्तन राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसे हिंदी भाषा के विरोध से जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि भारतीय रुपये का आधिकारिक प्रतीक ‘₹’ वर्ष 2010 में अपनाया गया था। इसे आईआईटी बॉम्बे के छात्र डी. उदय कुमार ने डिजाइन किया था, जो तमिलनाडु से संबंध रखते हैं।
हिंदी और संस्कृत का विरोध
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और उनके पुत्र उदयनिधि स्टालिन लंबे समय से हिंदी और संस्कृत के खिलाफ मुखर रहे हैं। उनका दावा है कि केंद्र सरकार दक्षिण भारत में हिंदी को थोपने की कोशिश कर रही है, जिससे स्थानीय भाषाओं को खतरा हो सकता है। स्टालिन का कहना है कि हिंदी के प्रभाव के चलते उत्तर भारत की कई भाषाएं विलुप्त हो चुकी हैं और तमिल भाषा को भी इसी खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

राजनीतिक विवाद बढ़ा
तमिलनाडु में इस मुद्दे पर डीएमके और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ गया है। राज्य में बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई और डीएमके नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी हो चुकी है। द्रविड़ राजनीति में हिंदी विरोध को एक प्रभावी मुद्दे के रूप में देखा जाता रहा है और आगामी 2026 विधानसभा चुनाव से पहले इसे एक बार फिर हवा दी जा रही है। संसद में भी इस विषय पर चर्चा हो चुकी है, जहां केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और डीएमके सांसदों के बीच बहस हुई थी।
तमिलनाडु सरकार द्वारा रुपये के प्रतीक ‘₹’ को हटाने के इस कदम को द्रविड़ राजनीति के नए रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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