जज बाबा और होली का चमत्कार
वृंदावन की होली की धूम
वृंदावन की होली! एक ऐसा पर्व जब पूरी नगरी रंगों में डूबी होती है। चारों ओर अबीर-गुलाल की बौछारें और भक्तों के जयकारे गूंजते रहते हैं। मंदिरों की गलियों में रंग और भक्ति की ऐसी लहर होती है जैसे मानो स्वयं बांके बिहारी हर ओर मुस्कुराते हुए रंग बरसा रहे हों। वृंदावन की होली में जो उत्साह होता है, वो कहीं और मिलना असंभव है। लेकिन इस चमत्कारी होली की कहानी कुछ खास है, जो सालों पहले घटित हुई थी।

झूठे मुकदमे की सजा
यह कहानी एक वृद्धा की है जो वृंदावन में अपनी वृद्धावस्था बिता रही थी। उसके पिता के साथ सालों पहले एक ऐसा हादसा हुआ था जिसे लोग आज भी चमत्कार मानते हैं। वृद्धा के पिता पर एक झूठा मुकदमा दर्ज हुआ था। बिना किसी ठोस सबूत के ही उन्हें दोषी ठहराया जा रहा था। पूरा परिवार दुख में था और वृद्धा के पिता का विश्वास केवल भगवान बांके बिहारी में था।
बांके बिहारी से प्रार्थना
होली का दिन था। चारों ओर हर्ष और उल्लास का माहौल था, पर वृद्धा के पिता का मन विचलित था। उन्होंने मंदिर जाकर बांके बिहारी से प्रार्थना की, “हे बिहारी जी! आपकी नगरी में अन्याय हो, ये कैसे संभव है? कृपा करके मेरी रक्षा करें।”
उस रात वृद्धा के पिता को एक विचित्र सपना आया। उन्होंने देखा कि भगवान स्वयं रंगों से सजे हुए उनके सामने खड़े हैं और मुस्कुराते हुए कह रहे हैं, “घबराओ मत, मैं कल कोर्ट में आऊंगा।” यह सपना इतना सजीव था कि वृद्धा के पिता का विश्वास और भी प्रबल हो गया।
अदालत में चमत्कार
अगले दिन अदालत में मुकदमा चल रहा था। तभी दरवाजे पर एक अजनबी व्यक्ति प्रकट हुआ, जिसके कपड़े रंगों से पुते हुए थे और उसकी आंखों में अद्भुत चमक थी। उसने न्यायाधीश के सामने स्पष्ट सबूत प्रस्तुत किए, जो साबित करते थे कि वृद्धा के पिता निर्दोष थे। सबूत देखने के बाद न्यायाधीश भी हैरान थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने उस गवाह को धन्यवाद देना चाहा, वह गायब हो चुका था।
सभी लोग स्तब्ध थे। न्यायाधीश समझ गए कि वह कोई साधारण गवाह नहीं था, बल्कि स्वयं भगवान बांके बिहारी थे, जिन्होंने भक्त की रक्षा के लिए यह चमत्कार किया था।
जज बाबा का संकल्प
इस घटना के बाद उस न्यायाधीश ने अपना जीवन भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और वृंदावन में ही रहने लगे। वहां लोग उन्हें “जज बाबा” कहने लगे। वे हर साल होली के दिन बांके बिहारी मंदिर में जाकर रंग खेलते और भक्ति में लीन हो जाते। उनका मानना था कि होली का असली अर्थ सिर्फ रंग नहीं, बल्कि भगवान की अनंत कृपा और भक्ति में रंग जाना है।
बांके बिहारी की होली की विशेषता
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में आज भी होली का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। रंग नहीं, बल्कि फूलों की होली खेली जाती है। मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं पर फूल बरसाए जाते हैं और सबको ऐसा अनुभव होता है मानो स्वयं भगवान अपने भक्तों पर कृपा कर रहे हों।
अंत में सवाल
क्या आप इस होली में किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं? क्या आपके भी मन में कोई ऐसी प्रार्थना है जो बांके बिहारी की कृपा से पूरी हो सकती है? होली के इस पावन पर्व पर अपनी भक्ति और विश्वास को रंगों में मिलाकर बांके बिहारी को समर्पित कर दें।