बेंगलुरु में एक टेक वाले भैया ने अपनी राइड-शेयरिंग ऐप वाली गाड़ी का ऐसा खौफनाक किस्सा सुनाया कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। भाई साहब ने बस इतना कहा कि “भैया, AC चालू कर दो,” और बस, यहीं से शुरू हुआ पूरा ड्रामा। जो बात छोटी-मोटी बहस से शुरू हुई, वो धमकी, चाकूबाजी और लगातार परेशानी का खेल बन गई।
शुरूआत तो ठीक थी, फिर आया ट्विस्ट
बात शुरू हुई जब ये टेक भइया, जो कन्नड़ में फर्राटेदार बोल लेते हैं, ने ड्राइवर से कहा, “भैया, गर्मी लग रही है, AC ऑन कर दो।” ड्राइवर साहब का मूड पहले से ही खराब था, पता नहीं क्यों, और बिना किसी ढंग के बहाने के मना कर दिया। भइया ने थोड़ा जोर दिया तो ड्राइवर भड़क गया। बोला, “गाड़ी से उतर जाओ!” भइया ने सोचा ठीक है, उतर जाते हैं, लेकिन जब ड्राइवर ने राइड कैंसिल करने को कहा, तो भइया बोले, “अरे, कैंसिल तो तुम्हें करना चाहिए, सर्विस तो तुमने रोकी है!” बस, यहीं से ड्राइवर का दिमाग सटक गया। उसने अपनी चाबी के गुच्छे से एक छोटा-सा चाकू निकाला और भइया की तरफ तेवर दिखाने लगा।
जान बचाई, पर मुसीबत पीछे पड़ी
डर के मारे भइया ने पास में खड़े ट्रैफिक पुलिस वाले की तरफ इशारा किया और बोले, “चलो, पुलिस से बात करते हैं।” ड्राइवर थोड़ा हिचकिचाया, फिर फोन निकाला और किसी को बुलाने की बात करने लगा, शायद अपने यार-दोस्तों को। भइया को लगा कि अब भारी पंगा हो सकता है, तो पास से गुजरते ऑटो वाले भैया की मदद से वहां से निकल लिए। लेकिन भइया की टेंशन यहीं खत्म नहीं हुई।

ऑनलाइन लोगों को ये बात बताई तो पता चला कि ड्राइवर साहब ने भइया के नंबर का गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। लगातार OTP स्पैम की बौछार शुरू हो गई। भइया डर गए कि कहीं और बड़ा खतरा न हो, तो सोचा कि अब FIR दर्ज करवानी पड़ेगी। साथ ही राइड-शेयरिंग वाली कंपनी पर भी गुस्सा आया कि भाई, हमारा नंबर कैसे लीक कर दिया?
पुलिस और कंपनी का खेल
अगले अपडेट में भइया ने बताया कि पुलिस ने ड्राइवर को फोन घुमाया। ड्राइवर साहब ने सारा इल्जाम झाड़ दिया, बोला, “मैं तो गाड़ी से बाहर निकला ही नहीं, कंपनी के ऑफिस में था।” पुलिस ने उसे डांट पिलाई कि आगे से कोई हरकत मत करना। भइया को उम्मीद थी कि आसपास के CCTV से सच सामने आ जाएगा।
दो घंटे बाद भइया ने कंपनी को कॉल लॉग, मिस्ड कॉल्स के स्क्रीनशॉट और स्पैम मैसेज दिखाए। कंपनी ने जांच की, ड्राइवर की पोल खुली, और उसे सस्पेंड कर दिया। बोले, “आपका नंबर उसके फोन से हटा दिया, अब टेंशन मत लो।” लेकिन भइया को अभी ये बात हजम भी नहीं हुई थी कि 15 मिनट बाद फिर से OTP स्पैम शुरू हो गया। भइया ने सोचा, “ये क्या मजाक है? सस्पेंड करने से क्या फायदा, अगर टेंशन अभी भी बरकरार है?”
आखिरी अपडेट: कंपनी की बेरुखी
आखिरी बार कंपनी से बात हुई तो उन्होंने कहानी को हल्का करने की कोशिश की। बोले, “हमने ड्राइवर का फोन चेक किया, आपका नंबर किसी से शेयर नहीं हुआ।” लेकिन भइया के पास तो ड्राइवर के नंबर से कॉल्स के सबूत थे! ऊपर से सोशल मीडिया पर भी कंपनी ने भइया की शिकायत का कोई जवाब नहीं दिया।
नेटवाले भाइयों का गुस्सा
इंटरनेट पर लोग भड़क गए। कोई बोला, “ड्राइवर को दिन-रात फोन मिलाकर सबक सिखाओ।” कोई बोला, “सीधे जाकर दो थप्पड़ लगाओ।” लेकिन ज्यादातर ने समझदारी की सलाह दी—पुलिस में शिकायत करो, सारे सबूत जमा करो, कॉल लॉग और राइड की डिटेल्स रखो। कुछ बोले, “सोशल मीडिया पर बेंगलुरु सिटी पुलिस और कंपनी को टैग करो, ताकि जल्दी एक्शन हो।” एक भाई ने तो कहा, “AC की छोटी-सी बात इतना बड़ा पंगा बन गई, ये तो सीधा क्राइम है। कंपनी को सिर्फ सस्पेंड करने से काम नहीं चलेगा।” एक और बंदे ने कहा, “मैं तो अब बेंगलुरु में कैब वालों से AC की बात ही नहीं करता, डर लगता है!”
बस एक सवाल
भइया का ये हाल देखकर लगता है कि राइड-शेयरिंग वाली कंपनियों को सिर्फ ड्राइवर सस्पेंड करने से आगे सोचना चाहिए। आखिर यात्री की सेफ्टी का जिम्मा कौन लेगा?