मध्य प्रदेश, जिसे अक्सर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, अब एक नए परिदृश्य में अपनी पहचान बना रहा है—नवाचार और उद्यमिता का परिदृश्य। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025, जो आज 23 फरवरी 2025 को भोपाल में शुरू हो रहा है, बड़े उद्योगपतियों और निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। लेकिन इस चमक-दमक के बीच कुछ अनसुने स्टार्टअप्स हैं, जो एग्रीटेक, हस्तशिल्प और अन्य क्षेत्रों में शानदार काम कर रहे हैं। ये छोटे-छोटे प्रयास न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की क्षमता रखते हैं, बल्कि समिट जैसे मंचों से लाभ उठाकर अपनी पहचान बना सकते हैं—या फिर अनदेखे रह सकते हैं। आइए, इन कम चर्चित नवाचारों पर नजर डालें।
एग्रीटेक: खेती को नई दिशा देने वाले स्टार्टअप्स
मध्य प्रदेश एक कृषि-प्रधान राज्य है, जहां गेहूं, चावल, दालें और सोयाबीन जैसे उत्पादन में इसकी अहम भूमिका है। लेकिन पारंपरिक खेती के तरीकों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने वाले स्टार्टअप्स अब धीरे-धीरे उभर रहे हैं। उदाहरण के लिए, “किसान स्मार्ट” जैसा एक स्टार्टअप, जो भोपाल के आसपास काम कर रहा है, किसानों को सस्ते सेंसर और मोबाइल ऐप्स के जरिए मिट्टी की नमी, मौसम की जानकारी और फसल की स्थिति का विश्लेषण करने में मदद कर रहा है। यह छोटा सा प्रयास किसानों की आय बढ़ाने और पानी की बर्बादी रोकने में कारगर साबित हो रहा है।
इसी तरह, “एग्री-ग्रो” नाम का एक स्टार्टअप इंदौर में जैविक खाद और ड्रोन-आधारित कीटनाशक छिड़काव पर काम कर रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि छोटे किसानों को कम लागत में बेहतर उत्पादन का रास्ता दिखा रहा है। ये स्टार्टअप्स समिट में बड़े निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं, क्योंकि ग्लोबल मार्केट में एग्रीटेक की मांग तेजी से बढ़ रही है। लेकिन अगर इन्हें सही मंच न मिला, तो ये बड़े नामों की भीड़ में गुम हो सकते हैं।
हस्तशिल्प: परंपरा और नवाचार का संगम
मध्य प्रदेश की हस्तशिल्प कला, जैसे चंदेरी साड़ियां, बाग प्रिंट, और भील पेंटिंग, देश-विदेश में मशहूर हैं। लेकिन कुछ स्टार्टअप्स इन पारंपरिक कलाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म और आधुनिक डिजाइनों के जरिए नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। “हस्तकला संनाद”, जबलपुर से शुरू हुआ एक स्टार्टअप, स्थानीय कारीगरों को ऑनलाइन मार्केटप्लेस से जोड़ रहा है। यह प्लेटफॉर्म कारीगरों को डिजाइन में मदद करता है, उनके उत्पादों की ब्रांडिंग करता है और उन्हें सीधे ग्राहकों तक पहुंचाता है।
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इसके अलावा, “क्राफ्टविला एमपी” नाम का एक प्रयास ग्वालियर में चल रहा है, जो बांस और जूट से बने पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है। ये स्टार्टअप्स न केवल कारीगरों की आजीविका को बेहतर कर रहे हैं, बल्कि सस्टेनेबल फैशन के वैश्विक ट्रेंड को भी पूरा कर रहे हैं। समिट में यदि इन स्टार्टअप्स को प्रदर्शन का मौका मिले, तो ये अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बना सकते हैं। लेकिन बड़े टेक्सटाइल ब्रांड्स के सामने इनकी अनदेखी होने का खतरा भी बना हुआ है।
अन्य अनदेखे नवाचार: छोटे कदम, बड़े सपने
एग्रीटेक और हस्तशिल्प के अलावा, मध्य प्रदेश में कुछ ऐसे स्टार्टअप्स भी हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, “स्वच्छ ऊर्जा”, उज्जैन का एक स्टार्टअप, सौर ऊर्जा से चलने वाले छोटे उपकरण बना रहा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्या को हल कर सकते हैं। वहीं, “शिक्षा साथी”, एक भोपाल-आधारित स्टार्टअप, ग्रामीण बच्चों के लिए किफायती ऑनलाइन शिक्षा किट्स पर काम कर रहा है।
ये स्टार्टअप्स भले ही बड़े नामों की तरह सुर्खियों में न हों, लेकिन इनके पास स्थानीय समस्याओं को हल करने और सामाजिक बदलाव लाने की जबरदस्त क्षमता है। समिट में अगर इन छोटे उद्यमों को निवेशकों और नीति-निर्माताओं के सामने लाया जाए, तो ये न केवल खुद तरक्की कर सकते हैं, बल्कि मध्य प्रदेश को नवाचार का एक नया केंद्र भी बना सकते हैं।
समिट से उम्मीदें और चुनौतियां
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में 60 से अधिक देशों के उद्योगपति और निवेशक हिस्सा ले रहे हैं। यह मध्य प्रदेश के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम को दुनिया के सामने पेश करे। बड़े स्टार्टअप्स जैसे बोट और जिरोधा जैसी यूनिकॉर्न कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं, जो इन छोटे स्टार्टअप्स के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बन सकती हैं। लेकिन चुनौती यह है कि समिट का फोकस बड़े निवेश प्रस्तावों और इंडस्ट्री लीडर्स पर केंद्रित न हो जाए, जिससे ये अनसुने स्टार्टअप्स पीछे छूट जाएं।
राज्य की “एमपी स्टार्टअप पॉलिसी” इन उद्यमों को वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा देने का वादा करती है। अगर समिट में इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने की योजना बनाई जाए, तो एग्रीटेक और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले स्टार्टअप्स को नई उड़ान मिल सकती है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश के ये अनसुने स्टार्टअप्स बड़े नामों की चकाचौंध से परे एक उम्मीद की किरण हैं। ये न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार और नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि राज्य को एक सस्टेनेबल और समावेशी अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का सपना देख रहे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इनके लिए एक ऐसा मंच हो सकता है, जहां ये दुनिया के सामने अपनी पहचान बना सकें। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि नीति-निर्माता और आयोजक इन छोटे सितारों को नजरअंदाज न करें। आखिर, बड़े बदलाव की शुरुआत अक्सर छोटे कदमों से ही होती है।
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