हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश (एमपी) भारत के औद्योगिक नक्शे पर एक उभरता हुआ सितारा बन गया है, और अब जापान के साथ उसकी बढ़ती साझेदारी इस कहानी को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है। जनवरी 2025 के अंत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जापान यात्रा ने दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने जापानी निवेशकों को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन जैसे बड़े उद्योगों के अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें एमपी के निवेश-अनुकूल माहौल को रेखांकित किया गया।
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निवेश के नए अवसर
मुख्यमंत्री की इस यात्रा का सबसे बड़ा परिणाम यह रहा कि टोक्यो और ओसाका जैसे शहरों की 20 प्रमुख जापानी कंपनियों ने एमपी में निवेश की रुचि दिखाई। इन कंपनियों का ध्यान स्वच्छ ऊर्जा, कपड़ा, कृषि मशीनरी और ऑटोमोटिव पार्ट्स जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। इसके साथ ही, जापान-मध्य प्रदेश औद्योगिक सहयोग मंच की मंजूरी ने इस साझेदारी को और मजबूत करने का रास्ता खोला। इस मंच के जरिए जापानी निवेश को सुगम बनाने और दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
औद्योगिक ढांचे में बदलाव
जापान के साथ मिलकर एमपी में एक जापानी औद्योगिक पार्क, कौशल विकास केंद्र और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित करने की योजना बनाई गई है। ये परियोजनाएं राज्य के औद्योगिक ढांचे को आधुनिक बनाने और जापानी तकनीकी विशेषज्ञता के साथ कार्यबल को तैयार करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती हैं। मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के अंतर्गत एक “जापान प्लस सेल” की स्थापना भी की गई है, जो जापानी निवेशकों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखेगा। हाल के सम्मेलनों में ₹30,000 करोड़ से अधिक के निवेश को मंजूरी मिल चुकी है, जबकि ₹4 लाख करोड़ के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।
आर्थिक संबंधों का आधार
वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश ने जापान को $92.8 मिलियन मूल्य का निर्यात किया, जिसमें एल्यूमीनियम उत्पाद, जैविक रसायन, दवाइयाँ और मशीनरी शामिल हैं। यह मौजूदा व्यापारिक रिश्ता दोनों पक्षों के बीच गहरे आर्थिक संबंधों की नींव रखता है। जापान की कंपनियां जैसे ओसाका गैस (स्वच्छ ऊर्जा), कुबोटा (कृषि मशीनरी), और अल्पाइन जापान (इलेक्ट्रिक वाहन पार्ट्स) एमपी में अपनी इकाइयाँ स्थापित करने की योजना बना रही हैं। ये निवेश राज्य के औद्योगिक आधार को विविधता प्रदान कर सकते हैं और कृषि तथा नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दे सकते हैं।
कौशल विकास और सांस्कृतिक जुड़ाव
प्रस्तावित कौशल विकास केंद्र जापानी विशेषज्ञता का लाभ उठाकर विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में एमपी के कार्यबल को सशक्त बनाएगा। इससे राज्य में एक कुशल श्रमिक पूल तैयार होगा, जो उन्नत उद्योगों की जरूरतों को पूरा कर सकेगा। मुख्यमंत्री ने जापान और एमपी के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला, जो गौतम बुद्ध के प्रति दोनों की साझा श्रद्धा पर आधारित है। यह सांस्कृतिक आधार सहयोग को और गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
शहरी विकास और रणनीतिक महत्व
टोक्यो के गवर्नर के साथ मुख्यमंत्री की बैठक में शहरी विकास मॉडल पर चर्चा हुई, जिससे भोपाल और इंदौर जैसे शहरों के लिए स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में सहयोग की संभावना बढ़ी है। एमपी की मजबूत औद्योगिक संरचना—231 अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र, 19 विकास केंद्र, और 12 उत्पाद-विशिष्ट पार्क—तथा 99,403 किलोमीटर का सड़क नेटवर्क इसे जापानी कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है। जापान की तकनीकी दक्षता और एमपी के संसाधन-समृद्ध वातावरण के बीच तालमेल राज्य को वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है।
जापान और मध्य प्रदेश के बीच यह साझेदारी न केवल आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है, बल्कि कौशल विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए अवसर भी पैदा कर रही है। आने वाले वर्षों में यह गठजोड़ एमपी को औद्योगिक और तकनीकी रूप से समृद्ध राज्य के रूप में उभरने में मदद कर सकता है, जो वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
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