BY: Yoganand Shrivastva
हरियाणा: सरकार अब देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। राज्य सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत निवेश आकर्षित करने के लिए अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) नीति को नए रूप में तैयार किया है। इस नीति के तहत निवेशकों को कई वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित करने और इस क्षेत्र में रोजगार सृजन को लेकर रणनीतियों की समीक्षा की गई। रस्तोगी ने कहा कि सरकार का प्रमुख उद्देश्य बड़े निवेश आकर्षित करना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना और हरियाणा को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन से जोड़ना है।
वर्तमान में हरियाणा भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 2.9% (लगभग 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर) का योगदान देता है और इस क्षेत्र में लगभग 13 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। सरकार का लक्ष्य इस हिस्सेदारी को बढ़ाने और राज्य को “इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब” बनाने का है। नई नीति के तहत सरकार पूंजीगत और परिचालन व्यय पर रियायत, ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स और टेक्नोलॉजी अधिग्रहण में सहयोग जैसे कई प्रोत्साहन देगी।
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त और सचिव अमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार की ECMS योजना में निवेश आधारित 1% से 25% तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। हरियाणा सरकार भी अन्य प्रगतिशील राज्यों — जैसे आंध्र प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश — की तरह अतिरिक्त टॉप-अप इंसेंटिव देने पर विचार कर रही है।
निवेशकों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ‘रिलेशनशिप मैनेजर’ भी नियुक्त करेगी जो भूमि पहचान, अनुमति प्रक्रिया और विभागीय समन्वय में सहयोग देंगे।सरकार का मानना है कि इस नीति से हरियाणा में हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी और राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी भूमिका निभाएगा।





