सूर्य की उपासना का महापर्व छठ जल्द ही शुरू होने वाला है। यह चार दिवसीय पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन किया जाता है।
अगर आप भी इस महापर्व की तैयारियों में जुटे हैं, तो यहां नहाय-खाय से लेकर सूर्य अर्घ्य तक की सभी महत्वपूर्ण तिथियां नोट कर लें।
छठ पर्व 2025 का 4 दिवसीय शेड्यूल
| चरण | तिथि | दिन | हिन्दू तिथि (कार्तिक माह शुक्ल पक्ष) |
| नहाय-खाय | 25 अक्टूबर 2025 | शनिवार | चतुर्थी तिथि |
| खरना | 26 अक्टूबर 2025 | रविवार | पंचमी तिथि |
| अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (मुख्य छठ पूजा) | 27 अक्टूबर 2025 | सोमवार | षष्ठी तिथि |
| उदीयमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य (पारण) | 28 अक्टूबर 2025 | मंगलवार | सप्तमी तिथि |
छठ पर्व के चारों दिन का महत्व

1. नहाय-खाय (25 अक्टूबर, शनिवार)
छठ महापर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। आमतौर पर इस दिन लौकी की सब्जी, चावल और दाल का सेवन किया जाता है।
2. खरना (26 अक्टूबर, रविवार)
पंचमी तिथि के दिन खरना होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन भर उपवास रखकर शाम के वक्त गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। खरना के भोजन के बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
3. अस्तचलगामी सूर्य को शाम को अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)
षष्ठी तिथि के दिन मुख्य छठ पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय नदी या तालाब के किनारे छठ घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य (अस्तचलगामी सूर्य) को अर्घ्य दिया जाता है।
4. उदीयमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार)
सप्तमी तिथि के दिन उगते सूर्य को व्रती अर्घ्य देते हैं। इस अर्घ्य के बाद व्रती व्रत का पारण (समापन) करते हैं। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाता है।





