पिछले एक साल में लगभग 23,000 पुरुषों ने PAURUSH (People Against Unequal Rules Used to Shelter Harassment) का दरवाज़ा खटखटाया है। ये सभी अपनी पत्नियों और ससुराल वालों द्वारा कथित प्रताड़ना के खिलाफ मदद मांग रहे हैं। संदीप मालवीय, जवाहर ढींगरा और गौरव परमार जैसे कई पुरुषों ने PAURUSH के हेल्पलाइन पर संपर्क किया है।
संदीप मालवीय का दर्द
संदीप मालवीय ने मई 2015 में भोपाल में शादी की और कुछ साल बाद बेंगलुरु शिफ्ट हो गए। अप्रैल 2019 में उनकी पत्नी अपनी बेटी के साथ सारा गहना लेकर सेहोर (मध्य प्रदेश) में अपने मायके चली गईं और कभी वापस नहीं लौटीं। उन्होंने संदीप के सभी कॉन्टैक्ट्स ब्लॉक कर दिए। जब संदीप ने समुदाय के बुजुर्गों से मदद मांगी, तो 2020 में पत्नी ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ केस दर्ज करा दिए। अब तक संदीप 100 से ज़्यादा हियरिंग्स अटेंड कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
जवाहर ढींगरा की कहानी
जवाहर ढींगरा 25 साल से शादीशुदा थे। चार साल पहले उनकी पत्नी दो बेटों के साथ घर छोड़कर चली गईं और मेन्टेनेंस का केस कर दिया। कोर्ट ने जवाहर को ₹4,000 प्रति महीना देने का आदेश दिया, जबकि उनकी पत्नी पढ़ी-लिखी हैं और नौकरी करती हैं। उनके बेटे (22-23 साल) भी कमाते हैं, फिर भी जवाहर को अकेले रहकर मेन्टेनेंस देना पड़ रहा है।
गौरव परमार का संघर्ष
गौरव परमार ने 2016 में अपनी क्लासमेट रैना यादव से शादी की। 2022 में पत्नी ने IPC की धारा 498A, डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट और CrPC की धारा 125 के तहत केस दर्ज करा दिए। अब पत्नी और उसका परिवार गौरव के घर में रह रहा है, जबकि उसे घर से बाहर निकाल दिया गया है।
PAURUSH का दावा
PAURUSH के मुताबिक, कई महिलाएं कानूनों का गलत इस्तेमाल कर पुरुषों और उनके परिवारों को प्रताड़ित कर रही हैं। डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, डोरी प्रोहिबिशन एक्ट और IPC की कुछ धाराओं का दुरुपयोग हो रहा है। पिछले एक साल (मार्च 2024-मार्च 2025) में PAURUSH के हेल्पलाइन पर 23,000 कॉल्स आए हैं।
PAURUSH के प्रेसिडेंट आशोक दशोरा ने बताया, “हमने सैकड़ों पुरुषों और उनके परिवारों को जेल जाने, डिप्रेशन में जाने या आत्महत्या करने से रोका है।”