जबलपुर के मदन महल से दमोह नाका तक फैला 7 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर आज (23 अगस्त 2025) जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा । केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज इसका उद्घाटन करेंगे।
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इसका नाम वीरांगना रानी दुर्गावती के सम्मान में रखा गया है। 2019 में इसकी नींव रखी गई थी और लगभग 1100 करोड़ रुपये की लागत से 6 वर्षों में यह परियोजना पूरी हुई।
फ्लाईओवर की तकनीकी विशेषताएं
1. केबल स्टे ब्रिज
- मदन महल रेलवे स्टेशन के ऊपर बनाया गया।
- भारत का सबसे लंबा सिंगल स्पान 193.5 मीटर।
- इसमें 56 स्टे केबल्स का उपयोग किया गया।
- तैयार करने में फ्रांस की Fresinett कंपनी ने तकनीकी निगरानी की।
- कास्ट इनसिटु फार्म ट्रैवल गैंट्री तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे स्लैब निर्माण बिना किसी समर्थन के हुआ।
2. एलिवेटेड रोटरी
- फ्लाईओवर पर दो एलिवेटेड रोटरी:
- रानीताल चौक
- दशमेश द्वार
- इसे भारत का पहला ऐसा फ्लाईओवर बनाती हैं जिसमें एलिवेटेड रोटरी शामिल है।
प्राकृतिक और मनोरंजन सुविधाएँ
- फ्लाईओवर के नीचे 50 हजार पौधे लगाए गए हैं।
- इसके साथ गार्डन, ओपन जिम और बास्केटबॉल कोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं विकसित की गई हैं।
- यह न केवल ट्रैफिक को सुगम बनाता है, बल्कि सामाजिक और खेल गतिविधियों के लिए भी एक आदर्श स्थल है।
ट्रैफिक सुधार और रैम्प सड़कें
- मदन महल से दमोह नाका की यात्रा अब पूर्व के 40–45 मिनट की बजाय बहुत कम समय में पूरी होगी।
- दो रैम्प सड़कें बनाई गई हैं:
- रेलवे कम्युनिटी हॉल से शास्त्री ब्रिज तक
- स्नेह नगर लिंक रोड से गढ़ा ओवरब्रिज और आसपास की कॉलोनियों तक
निर्माण और आंकड़े
- कुल लंबाई: 6.855 किमी
- मुख्य भाग की चौड़ाई: 12.9 मीटर
- रैंप चौड़ाई: 4 मीटर
- निर्माण लागत: 1100 करोड़ रुपए
- निर्माण अवधि: 2019–2025
ऐतिहासिक महत्व
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के अनुसार, यह फ्लाईओवर केवल एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं है। यह वीरांगना रानी दुर्गावती की गौरवमयी विरासत को समर्पित है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।