वसंत पंचमी, जिसे बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन देवी सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान, संगीत और कला की देवी मानी जाती हैं। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वसंत पंचमी 2025 में 2 फरवरी को मनाई जाएगी। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

वसंत पंचमी 2025: तिथि और समय
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 2 फरवरी 2025, सुबह 09:14 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 3 फरवरी 2025, सुबह 06:52 बजे
- वसंत पंचमी मुहूर्त: सुबह 07:08 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक
- वसंत पंचमी मध्याह्न क्षण: दोपहर 12:34 बजे
वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति में नवजीवन, विकास और पुनर्जन्म का प्रतीक है। यह दिन सर्दियों के अंत और रंग-बिरंगे वसंत के आगमन का प्रतीक है। देश भर में लोग इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। उन्हें पीले या सफेद वस्त्र पहने और वीणा धारण किए हुए दिखाया जाता है।
वसंत पंचमी के रीति-रिवाज
- पूजा की तैयारी: भक्त सुबह जल्दी उठकर देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं।
- दीप प्रज्वलन: देशी घी से दीपक जलाया जाता है।
- पीले रंग का महत्व: देवी को पीले रंग के मिठाई और फूल चढ़ाए जाते हैं।
- ज्ञान और कला के साधन: पूजा के दौरान किताबें, वाद्य यंत्र और अन्य ज्ञान के साधन देवी के सामने रखे जाते हैं।
- मंत्रों का जाप: भक्त देवी सरस्वती के मंत्रों का जाप करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
देवी सरस्वती के मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
वसंत पंचमी का उत्सव
वसंत पंचमी के दिन स्कूलों और कॉलेजों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। छात्र देवी सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह रंग वसंत ऋतु और नई शुरुआत का प्रतीक है।
वसंत पंचमी का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। देवी सरस्वती की पूजा करके हम ज्ञान, बुद्धि और कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की कामना करते हैं।