नई दिल्ली, 18 मार्च 2025: अमेरिकी अधिकारियों ने लेबनानी मूल की डॉ. राशा अलावीह को उनके फोन में हिजबुल्लाह से जुड़ी सामग्री मिलने के बाद निर्वासित कर दिया। डॉ. राशा, जो ब्राउन यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं, को उनके फोन के डिलीट किए गए फोल्डर में हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरुल्लाह और उनके आतंकवादियों की तस्वीरें और वीडियो मिलने के बाद अमेरिका से बाहर भेज दिया गया।

व्हाइट हाउस का मजाकिया जवाब
व्हाइट हाउस ने इस मामले पर एक ट्वीट करते हुए लिखा, “बाय-बाय राशा”, और साथ में डोनाल्ड ट्रंप की एक तस्वीर शेयर की, जिसमें वह एक ड्राइव-थ्रू विंडो से हाथ हिला रहे हैं। यह ट्वीट डॉ. राशा के निर्वासन पर एक मजाकिया टिप्पणी थी।
क्या था मामला?
डॉ. राशा अलावीह, जो 34 साल की लेबनानी नागरिक हैं और H-1B वीजा धारक थीं, को बोस्टन के लोगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया। वह लेबनान में अपने परिवार से मिलने के बाद अमेरिका लौट रही थीं। अमेरिकी अधिकारियों ने उनके फोन में हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरुल्लाह और ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई की तस्वीरें पाईं। डॉ. राशा ने अधिकारियों को बताया कि वह हिजबुल्लाह का समर्थन नहीं करतीं, लेकिन शिया मुस्लिम होने के नाते नसरुल्लाह को धार्मिक दृष्टि से सम्मान देती हैं।
अमेरिकी न्याय विभाग का बयान
अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा कि डॉ. राशा के फोन में मिली सामग्री और उनके बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि “उनके अमेरिका में रहने के असली इरादे स्पष्ट नहीं थे”। इसके बाद उन्हें तुरंत लेबनान भेज दिया गया।
कौन हैं डॉ. राशा अलावीह?
- डॉ. राशा अलावीह एक किडनी ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट हैं।
- वह ब्राउन यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम करने वाली थीं।
- उन्होंने अमेरिका में तीन यूनिवर्सिटीज में फेलोशिप और रेजिडेंसी पूरी की थी।
- उनका H-1B वीजा जारी होने से पहले ही वह ब्राउन यूनिवर्सिटी में काम कर चुकी थीं।
निर्वासन का विरोध
डॉ. राशा के निर्वासन के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए। माया लेहरर, जो सोशलिज्म और लिबरेशन पार्टी की आयोजक हैं, ने प्रोविडेंस में स्टेट हाउस के बाहर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई।
अमेरिका की सख्त नीति
डॉ. राशा का निर्वासन ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन और वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है। इससे पहले भी कई मामलों में विदेशी छात्रों और पेशेवरों के वीजा रद्द किए जा चुके हैं।
निष्कर्ष
डॉ. राशा अलावीह का मामला अमेरिका की सख्त आव्रजन नीतियों की एक और मिसाल है। हिजबुल्लाह और ईरान से जुड़ी सामग्री मिलने के बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि यह फैसला न्यायसंगत नहीं था।
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