अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम बयान में दावा किया है कि हालिया इजरायल-ईरान संघर्ष में दोनों देश युद्ध रोकना चाहते थे। ट्रंप ने इस सीजफायर को अपनी एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना उनके लिए “सम्मान की बात” है।
ट्रंप का दावा: युद्ध रोकने को दोनों तैयार
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा:
“ईरान और इजरायल दोनों ही युद्ध को समाप्त करने के पक्ष में थे। ईरान की परमाणु क्षमताओं को निष्क्रिय करना और उसके बाद सीजफायर कराना मेरे लिए गर्व की बात रही।”
उन्होंने संकेत दिया कि युद्ध समाप्ति की प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका निर्णायक रही।
ट्रंप ने इजरायल को रोका हमला करने से
हालांकि, सीजफायर के ऐलान के बाद भी तनाव जारी रहा।
- इजरायल ने आरोप लगाया कि ईरान ने उस पर मिसाइलें दागीं।
- जवाब में इजरायल ने फाइटर जेट्स रवाना किए।
लेकिन ट्रंप ने इजरायल को स्पष्ट संदेश भेजा:
“ईरान पर बम मत गिराओ। यह सीजफायर का गंभीर उल्लंघन होगा। अपने पायलटों को वापस बुलाओ।”
इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर यह घोषणा की:
“इजरायल हमला नहीं करेगा। सभी विमान वापस लौटेंगे। किसी को नुकसान नहीं होगा। सीजफायर प्रभावी रहेगा।”
सीजफायर उल्लंघन पर ट्रंप की चेतावनी
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा:
“मुझे यह बात पसंद नहीं आई कि समझौते के तुरंत बाद ही इजरायल ने हमला शुरू कर दिया।”
उन्होंने दोनों देशों को दोषी ठहराया:
- “ईरान ने भी समझौते का उल्लंघन किया।”
- “लेकिन इजरायल ने बिना पुख्ता सबूत के हमला किया। उन्हें लगा कि कोई रॉकेट उनकी सीमा में गिरा, जबकि ऐसा नहीं हुआ।”
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब इजरायल और ईरान के बीच तनावपूर्ण शांति की स्थिति बनी हुई है। ट्रंप खुद को इस सीजफायर का सूत्रधार बता रहे हैं, लेकिन जमीनी हालात अभी भी काफी नाजुक हैं।