BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली |प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्रिटेन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर सहमति बनी है। इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा शराब प्रेमियों को मिलने वाला है—अब ब्रिटेन से आयात की जाने वाली व्हिस्की और स्कॉच भारत में पहले से ज्यादा सस्ती हो सकती है।
व्हिस्की क्यों है भारतीयों की पहली पसंद?
भारत में शराब की दुनिया में व्हिस्की का क्रेज किसी से छुपा नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है। यहां हर साल करोड़ों लीटर व्हिस्की की खपत होती है। स्कॉच और प्रीमियम ब्रांड की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर महानगरों और युवाओं के बीच।
अब ब्रिटिश स्कॉच होगी और भी किफायती
FTA के चलते भारत में आयात शुल्क (Import Duty) में कटौती हो सकती है, जिससे ब्रिटिश स्कॉच और अन्य महंगी व्हिस्कियों की कीमतें कम होंगी। अनुमान है कि स्कॉच की कीमतों में 20-30% तक की गिरावट संभव है। इसका मतलब है कि अब मिडिल क्लास भी इन प्रीमियम ड्रिंक्स का स्वाद ले सकेगा।
देसी शराब को मिलेगा इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म?
जहां एक ओर विदेशी शराब भारत में सस्ती होगी, वहीं यह समझौता देसी शराबों के लिए भी नए रास्ते खोल सकता है। रिपोर्ट्स की मानें तो भारत की पारंपरिक देसी शराब जैसे महुआ, ताड़ी और फेणी को भी अब अंतरराष्ट्रीय बाजार, खासकर ब्रिटेन में पहचान मिलने की संभावना है।
क्या है महुआ और ताड़ी?
- महुआ: मध्य भारत के आदिवासी इलाकों में बनने वाली पारंपरिक शराब, जिसे महुआ के फूलों से तैयार किया जाता है।
- ताड़ी: खजूर या नारियल के पेड़ से निकाले गए रस से बनने वाली एक कच्ची देसी शराब, जो खासतौर पर दक्षिण भारत और झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में लोकप्रिय है।
एक्सपोर्ट के रास्ते खुले
सरकार ने पहले ही महुआ और अन्य पारंपरिक शराबों के GI टैग और क्वालिटी सर्टिफिकेशन पर काम शुरू कर दिया है, जिससे इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रमोट किया जा सके। अब जब भारत और ब्रिटेन के बीच कारोबारी रास्ते और खुले हैं, तो आने वाले समय में “देसी पीयो, विदेश में बेचो” का नारा भी सच होता दिख सकता है।
क्या इससे देसी इंडस्ट्री को नुकसान होगा?
कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि विदेशी शराब के सस्ते होने से भारत की स्थानीय डिस्टिलरी और देसी शराब उत्पादकों को नुकसान हो सकता है। हालांकि, सरकार ने संकेत दिया है कि वह लोकल ब्रांड्स को प्रमोट करने और GI टैग वाले उत्पादों को एक्सपोर्ट करने में मदद करेगी।
स्कॉच सस्ती, देसी हाई-क्लास
यह FTA भारत के शराब बाजार के लिए बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। एक तरफ उपभोक्ताओं को किफायती दामों पर प्रीमियम विदेशी ब्रांड्स मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर देश की पारंपरिक शराबों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।