BY: Yoganand Shrivastva
हैदराबाद , तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इंदिरा कैंटीन को लेकर विरोध जता रहे प्रदर्शनकारियों पर सीएम रेड्डी ने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि “जब तक इन लोगों को कपड़े उतारकर पीटा नहीं जाएगा, तब तक ये इंदिरा गांधी की महानता नहीं समझ पाएंगे।”
रेवंत रेड्डी का यह बयान न केवल विपक्षी दलों, बल्कि सामाजिक संगठनों और आम जनता के एक वर्ग में तीखी प्रतिक्रिया का कारण बन गया है।
रेवंत रेड्डी ने क्या कहा?
हैदराबाद में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान रेवंत रेड्डी ने कहा,
“पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर चलने वाली कैंटीन का विरोध करने वाले लोग मूर्ख हैं। जब तक इन्हें कपड़े उतारकर पीटा नहीं जाएगा, तब तक इन्हें इंदिरा गांधी के कल्याणकारी कार्यों की गहराई का अंदाजा नहीं होगा।”
रेवंत ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी के शासनकाल में शुरू की गई योजनाओं ने गरीबों का जीवन बदला और इसी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अन्नपूर्णा कैंटीन का नाम बदलकर ‘इंदिरा कैंटीन’ रखा गया है।
विरोधियों का तीखा हमला
रेवंत रेड्डी के इस बयान पर तेलंगाना भाजपा ने तीखा विरोध जताया है। हैदराबाद बीजेपी के अध्यक्ष रामचंद्र राव ने कहा,
“मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को भाषा की मर्यादा रखनी चाहिए। इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी से उनकी सोच और संस्कार झलकते हैं।”
केटीआर (के. तारक रामाराव) ने भी बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा,
“राहुल गांधी देश में संविधान और नीति की बात करते हैं, लेकिन उनके मुख्यमंत्री इस तरह की असंवेदनशील भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यह दोहरे चरित्र का प्रमाण है।”
क्या है इंदिरा कैंटीन विवाद?
तेलंगाना की पूर्व बीआरएस सरकार ने ‘अन्नपूर्णा कैंटीन’ नाम से योजना शुरू की थी, जिसके तहत 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जाता था। यह योजना मजदूरों, गरीबों और दिहाड़ी कामगारों के लिए बड़ी राहत बन गई थी।
हाल ही में, जीएचएमसी (Greater Hyderabad Municipal Corporation) की स्थायी समिति ने इसका नाम बदलकर ‘इंदिरा गांधी कैंटीन’ कर दिया। साथ ही, 5 रुपये में नाश्ता उपलब्ध कराने की योजना भी घोषित की गई।
इस नाम परिवर्तन को लेकर कई वर्गों में नाराजगी देखी गई। विरोध का मुख्य आधार था कि “अन्नपूर्णा देवी का नाम हटाना धार्मिक और सांस्कृतिक भावना का अपमान है”। भाजपा ने इस फैसले को कांग्रेस का “दिल्ली दरबार को खुश करने वाला” कदम बताया।
भाषा पर उठे गंभीर सवाल
राजनीतिक विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि
“राजनीति में योजनाओं और नामों को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन भाषा की मर्यादा बेहद जरूरी है। मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति से इस तरह की असंवेदनशील और आक्रामक भाषा की उम्मीद नहीं की जाती।”
राजनीति में योजनाओं के नाम बदलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन सार्वजनिक रूप से हिंसा को सही ठहराना या उसका सुझाव देना निंदनीय है।
राजनीतिक असर और आगे की संभावना
रेवंत रेड्डी के इस बयान से तेलंगाना की राजनीति में गर्मी और बढ़ गई है। आगामी नगरपालिका चुनाव और पार्टी के जनाधार को देखते हुए यह बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक जोखिम का कारण बन सकता है।
बीजेपी और बीआरएस इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठा सकती हैं, जबकि कांग्रेस के सामने अपने मुख्यमंत्री के बचाव और छवि को संभालने की चुनौती है।