BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली/पहलगाम: पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई में जुटी हैं। बीते दिनों में सेना और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ऐसे कई स्थानीय नेटवर्क और मददगारों का सुराग मिला है, जो आतंकियों को पनाह और संसाधन उपलब्ध करा रहे थे। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इन सहयोगियों से लगातार पूछताछ की जा रही है ताकि आतंक के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सके।
ISI की ‘फॉरेन टेररिस्ट मॉड्यूल’ का खुलासा
जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा एक विशेष आतंकी मॉड्यूल—फॉरेन टेररिस्ट मॉड्यूल (FT मॉड्यूल)—के तहत विदेशी आतंकियों को प्रशिक्षित कर घाटी में भेजा जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि बीते समय में इस मॉड्यूल के ज़रिए कश्मीर में विदेशी आतंकियों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हुआ है, जिनकी गतिविधियां घाटी में लगातार बढ़ती जा रही हैं।
स्थानीय आतंकी नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई
एजेंसियां अब इस विदेशी नेटवर्क के स्थानीय संपर्कों पर शिकंजा कस रही हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में अब तक 68 आतंकियों को मारा गया, जिनमें से 42 विदेशी आतंकवादी थे। ये आतंकी या तो नियंत्रण रेखा (LoC) पार करते समय मारे गए या फिर घाटी के भीतर सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों में मुठभेड़ों के दौरान ढेर हुए। उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले में सबसे अधिक विदेशी आतंकी मारे गए, जहां 9 मुठभेड़ों में 14 आतंकी मारे गए।
स्थानीय भर्ती में भारी गिरावट, पाकिस्तान ने विदेशी आतंकियों पर लगाया दांव
पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती में भारी गिरावट आई है।
- 2021 में लगभग 125 स्थानीय युवक आतंकियों के साथ जुड़े थे,
- 2022 में यह संख्या घटकर 100 हो गई,
- 2023 में केवल 22 युवा शामिल हुए,
- और 2024 में अब तक सिर्फ 7 स्थानीय युवक ही आतंकियों में भर्ती हुए हैं।
इस गिरावट को देखते हुए पाकिस्तान ने घाटी में अपने प्रशिक्षित आतंकियों को भेजना शुरू कर दिया है। इनमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के साथ ही उनके सहयोगी संगठन TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट), PAFF (पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट) और कश्मीर टाइगर्स जैसे गुट शामिल हैं।
कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां और सेना एकजुट होकर काम कर रही हैं। अब रणनीति का फोकस विदेशी आतंकियों के नेटवर्क और उनके स्थानीय मददगारों को जड़ से उखाड़ने पर है। यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में आतंकवादियों के लिए घाटी में टिके रहना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल होने वाला है।
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