राधा की याद: नुसरत की कव्वाली, सीमाओं का अंत!

- Advertisement -
Ad imageAd image
राधा की याद नुसरत की कव्वाली, सीमाओं का अंत!

भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हमेशा से जटिल रहे हैं। फिर भी, संगीत और कला ने बार-बार इन सीमाओं को पार कर लोगों के दिलों को जोड़ा है। इस संदर्भ में, पाकिस्तानी कव्वाल उस्ताद नुसरत फतेह अली खान की कव्वालियां एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करती हैं, जिनमें सूफी परंपरा के साथ-साथ हिंदू भक्ति भावनाओं, विशेष रूप से राधा-कृष्ण के प्रेम का समावेश देखने को मिलता है। उनकी कव्वाली “सांसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम” इसका जीवंत प्रमाण है। यह लेख भारत में जात-पात से ऊपर उठकर इंसानियत को प्राथमिकता देने की आवश्यकता, नुसरत की कव्वालियों में राधा-कृष्ण के प्रतीकों का उपयोग, और भारत-पाक कलाकारों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालता है।

जात-पात से ऊपर इंसानियत: भारतीय राजनीति का एक आदर्श

भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां विभिन्न धर्म, जातियां और संस्कृतियां एक साथ रहती हैं। हालांकि, जात-पात और धार्मिक विभाजन ने अक्सर सामाजिक और राजनीतिक एकता को चुनौती दी है। भारतीय राजनीति में जातिगत समीकरण वोट बैंक की रणनीति का हिस्सा बन गए हैं, जिससे सामाजिक समरसता कमजोर हुई है। फिर भी, भारतीय संविधान और कई महान नेताओं ने हमेशा समानता और भाईचारे को बढ़ावा दिया है।

सूफी और भक्ति परंपराएं इस दिशा में एक प्रेरणा रही हैं। बुल्ले शाह, कबीर, और मीराबाई जैसे संतों ने अपनी रचनाओं में जात-पात और धार्मिक बंधनों को नकारते हुए प्रेम और एकता का संदेश दिया। नुसरत फतेह अली खान ने इन्हीं संतों की भावनाओं को अपनी कव्वालियों में जीवंत किया, जो न केवल धार्मिक सीमाओं को पार करती थीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक सेतु भी बनाती थीं। उनकी कव्वालियां हमें याद दिलाती हैं कि मानवता और प्रेम किसी भी राजनीतिक या सामाजिक विभाजन से ऊपर हैं।

नुसरत फतेह अली खान की कव्वालियों में राधा-कृष्ण का प्रतीकात्मक उपयोग

नुसरत फतेह अली खान, जिन्हें “शहंशाह-ए-कव्वाली” के नाम से जाना जाता है, ने सूफी संगीत को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। उनकी कव्वालियां सूफी दर्शन के साथ-साथ भारतीय भक्ति परंपरा को भी समेटती थीं। उनकी प्रसिद्ध कव्वाली “सांसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम” इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। इस कव्वाली में नुसरत ने मीराबाई की भक्ति रचना को अपनाया, जिसमें राधा और कृष्ण के प्रेम को सूफी भक्ति के साथ जोड़ा गया। गीत के बोल, “शाम बने हैं राधिका, राधा बन गईं शाम,” यह दर्शाते हैं कि प्रेम में प्रेमी और प्रिय का भेद मिट जाता है, जो सूफी दर्शन का मूल है।

यह कव्वाली 1979 में भारत में उनके प्रदर्शन के दौरान विशेष रूप से लोकप्रिय हुई। नुसरत ने इस रचना को कव्वाली के रूप में प्रस्तुत कर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बनाया। उनकी कव्वालियों में राधा-कृष्ण के प्रतीकों का उपयोग केवल धार्मिक नहीं था, बल्कि यह प्रेम, एकता और आध्यात्मिक समन्वय का प्रतीक था। उनकी एक अन्य कव्वाली, “कन्हैया, याद है कुछ भी हमारी,” में राधा की कृष्ण के प्रति विरह-भावना को सूफी प्रेम के साथ जोड़ा गया, जो दर्शाता है कि प्रेम की भाषा किसी धर्म या सीमा की मोहताज नहीं होती।

नुसरत की कव्वालियों ने भारत और पाकिस्तान के लोगों को एक साथ लाने का काम किया। उनकी रचनाएं, जैसे “दम मस्त कलंदर” और “अफरीन-अफरीन,” न केवल सूफी दर्शन को बल्कि भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों को भी दर्शाती थीं। यह सांस्कृतिक समन्वय आज के समय में भी प्रासंगिक है, जब दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद कला और संगीत लोगों को जोड़ने का काम करते हैं।

भारत-पाक कलाकारों की वर्तमान स्थिति

भारत और पाकिस्तान के बीच कलाकारों का आदान-प्रदान हमेशा से सांस्कृतिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। नुसरत फतेह अली खान ने 1980 के दशक में भारत में कई प्रदर्शन किए और बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी संगीत दिया। उनकी मृत्यु के बाद, उनके भतीजे राहत फतेह अली खान ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। राहत ने बॉलीवुड में “तेरे मस्त-मस्त दो नैन,” “जिया धड़क-धड़क,” और “ज़रूरी था” जैसे गीतों के साथ अपनी पहचान बनाई।

हालांकि, हाल के वर्षों में भारत-पाक संबंधों में तनाव के कारण कलाकारों के लिए सीमा पार काम करना मुश्किल हो गया है। 2016 के उरी हमले के बाद, कुछ भारतीय संगठनों ने पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप कई पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने में बाधा आई। इसके बावजूद, राहत फतेह अली खान जैसे कलाकारों ने डिजिटल मंचों और अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से अपनी कला को भारतीय दर्शकों तक पहुंचाया।

वहीं, भारतीय कलाकारों को भी पाकिस्तान में प्रदर्शन के लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नुसरत ने 1996 में दिल्ली में अपने एक प्रदर्शन के दौरान भारत-पाक सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था, “संगीत लोगों को एकजुट करने का अवसर देता है। जितना अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा, उतना ही दोनों देशों के बीच नफरत कम होगी।” उनकी यह बात आज भी प्रासंगिक है।

हाल के समय में, सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे मंचों ने दोनों देशों के कलाकारों को एक-दूसरे के दर्शकों तक पहुंचने में मदद की है। कोक स्टूडियो पाकिस्तान और भारत ने दोनों देशों के कलाकारों को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, राहत फतेह अली खान का गीत “अफरीन-अफरीन” यूट्यूब पर 300 मिलियन से अधिक बार देखा गया, जिसमें भारतीय दर्शकों का भी बड़ा योगदान है।

निष्कर्ष

नुसरत फतेह अली खान की कव्वालियां हमें यह सिखाती हैं कि प्रेम, एकता और मानवता किसी भी सीमा, धर्म या जात-पात से ऊपर हैं। उनकी कव्वालियों में राधा-कृष्ण के प्रतीकों का उपयोग न केवल सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद, संगीत और कला ने हमेशा लोगों को जोड़ा है। आज के समय में, जब जात-पात और धार्मिक विभाजन समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं, नुसरत की कव्वालियां हमें याद दिलाती हैं कि इंसानियत और प्रेम ही वह शक्ति है जो सभी बंधनों को तोड़ सकती है।

भारत-पाक कलाकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकारों और समाज को मिलकर काम करना होगा। सांस्कृतिक आदान-प्रदान न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करेगा, बल्कि एक ऐसी दुनिया का निर्माण करेगा जहां प्रेम और एकता सर्वोपरि हों। नुसरत फतेह अली खान की विरासत हमें यह सिखाती है कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्माओं को जोड़ने का माध्यम है।

Leave a comment
- Advertisement -
Ad imageAd image

कोरबा: गोपालपुर चोरभट्टी के जंगल में भीषण आग, बड़ा हादसा टला

कोरबा से रिपोर्टगोपालपुर चोरभट्टी के पास स्थित आईटीआई के पीछे के जंगलों

बीजापुर अपडेट: माओवादियों के खिलाफ निर्णायक अभियान

3 महिला माओवादी ढेर रिपोर्ट: कुशल चोपड़ा, बीजापुर (छ.ग.)दिनांक: 24 अप्रैल 2025

कोरबा: गोपालपुर चोरभट्टी के जंगल में भीषण आग, बड़ा हादसा टला

कोरबा से रिपोर्टगोपालपुर चोरभट्टी के पास स्थित आईटीआई के पीछे के जंगलों

बीजापुर अपडेट: माओवादियों के खिलाफ निर्णायक अभियान

3 महिला माओवादी ढेर रिपोर्ट: कुशल चोपड़ा, बीजापुर (छ.ग.)दिनांक: 24 अप्रैल 2025

पहलगाम आतंकी हमला: मासूम बेटे ने बयां की दरिंदगी की दास्तां

‘आतंकियों ने पापा को बोलने तक नहीं दिया, गोली मारी’ BY: VIJAY

डोंगरगढ़: पुरानी रंजिश में सुपारी देकर कराई गई हत्या

पुलिस ने 24 घंटे में सुलझाई गुत्थी रिपोर्ट – अभिलाष देवांगन |

कोरबा: सर्वमंगला रेल ब्रिज के नीचे अधूरी सड़क से उड़ रही धूल

धूल से राहगीर हो रहे परेशान रिपोर्ट: उमेश डहरिया, कोरबा कोरबा, 24

ऑनलाइन गेमिंग के चलते कर्ज में डूबे पुलिस जवान ने खाया ज़हर, मौत के बाद जांच में जुटी पुलिस

रिपोर्टरः चेतन सिंह, अपडेटः योगानंद श्रीवास्तव इंदौर। शहर की 15वीं बटालियन में

राज्यपाल रमेन डेका पहुंचे बलरामपुर, संयुक्त जिला कार्यालय में हुआ स्वागत

रिपोर्ट: सुनील कुमार, बलरामपुर बलरामपुर, 24 अप्रैल।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका आज

नेशनल हाईवे 30 पर हो रही दुर्घटनाओं को लेकर जिला प्रशासन सतर्क

अधिकारियों ने किया निरीक्षण रिपोर्ट: अमरेश कुमार झा, कोंडागांव कोंडागांव, 24 अप्रैल।कोण्डागांव

अबूझमाड़ के नेलांगुर में स्थापित हुआ आईटीबीपी का नया कैंप

माओवादियों को लगी बड़ी चुनौती रिपोर्ट: अमरेश कुमार झा, कोंडागांव कोंडागांव, 23

जशपुर: बेटी ने की पिता की हत्या, पुलिस ने 24 घंटे में सुलझाई गुत्थी

जशपुर से ब्रेकिंग रिपोर्ट जशपुर जिले के बागबहार थाना क्षेत्र से एक

कांकेर में आयोजित हुआ हज शिविर, 250 से अधिक लोगों ने लिया हिस्सा

रिपोर्ट: प्रशांत जोशी, कांकेर कांकेर जिले में आज छत्तीसगढ़ राज्य हज समिति

पिछोर पुलिस को बड़ी सफलता: हत्या के 10,000 रुपये के इनामी आरोपी को दबोचा

रिपोर्टरः शालू, अपडेटः योगानंद श्रीवास्तव शिवपुरी (मध्य प्रदेश): पिछोर थाना पुलिस ने

जांजगीर-चांपा के नए कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने संभाला पदभार

रिपोर्ट: देवेंद्र श्रीवास, जांजगीर-चांपा | दिनांक: 24.04.25 जांजगीर-चांपा जिले को आज उसका

कंकालिन तालाब के सौंदर्यीकरण कार्य का हुआ शुभारंभ

रिपोर्ट: प्रशांत जोशी, कांकेर कांकेर जिला मुख्यालय के अघन नगर एवं जनकपुर

कांकेर: बिजली विभाग की अघोषित कटौती बनी लोगों की दोहरी मुसीबत

रिपोर्ट: प्रशांत जोशी, कांकेर कांकेर जिला मुख्यालय सहित इसके आसपास के ग्रामीण

पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में 1000 अंकों की गिरावट, भारत-पाक तनाव के बीच बाजार डूबा

पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई,

गोरखपुर में सनसनी: पुल के पास अर्धनग्न हालत में युवक-युवती के शव बरामद, मौके से जहरीली दवा और स्कूटी मिली

रिपोर्टरः अरूण कुमार, अपडेटः योगानंद श्रीवास्तव गोरखपुर, उत्तर प्रदेश — जिले के

सरहद पार की नफरती जुबान, कर गई हिंदूओं का कत्लेआम !  

पहलगाम आतंकियों ने पहले धर्म पूछा, कलमा पढ़ने को कहा फिर मार

पहलगाम हमले ने तोड़ी शांति, केक कांड ने बढ़ाया तनाव

केक कांड क्या है? अब बात करते हैं उस अजीब घटना की,

पूरी शक्ति से आतंक के विषैले फनों को कुचला जाएगाः सीएम योगी

रिपोर्टरः वंदना रावत, अपडेटः योगानंद श्रीवास्तव कानपुर: पहलगाम आतंकी हमले का शिकार

क्रिप्टो की दुनिया में तहलका: XRP और Rexas Finance क्यों हैं चर्चा में?

आज हम बात करने जा रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया की दो

पीएम मोदी बिहार दौरे पर: मधुबनी में जनसभा, एक शख्स ने लहराया भड़काऊ पोस्टर

BY: Yoganand Shrivastva प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के दौरे पर हैं

बीजापुर में सुरक्षा बलों की नक्सलियों पर बड़ी चोट, 100 से ज्यादा IEDs बरामद

क्या है पूरा मामला? छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में, जो तेलंगाना की

अशोका बिल्डकॉन को ₹569 करोड़ का रेलवे प्रोजेक्ट मिला!

इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी अशोका बिल्डकॉन लिमिटेड को सेंट्रल रेलवे से एक बड़ा ठेका मिला है। कंपनी को पचोरा-जामनेर

तिरुपति अब सिर्फ तीर्थ नहीं, बनेगा खेलों का हब – आंध्र प्रदेश सरकार की बड़ी पहल

तिरुपति (आंध्र प्रदेश): आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति को केवल एक धार्मिक केंद्र

होंडा CB350 (2025) की पूरी जानकारी: कीमत, माइलेज, फीचर्स और विकल्प

कीमत और वेरिएंट2025 होंडा CB350 की भारत में कीमत ₹2.15 लाख (एक्स-शोरूम)

पहलगाम आतंकी हमला: कैसे ‘कलमा’ पढ़कर असम के प्रोफेसर ने बचाई अपनी जान

मुख्य बिंदु: क्या हुआ था पहलगाम में? 22 अप्रैल को पहलगाम के

जम्मू-कश्मीर में आतंक पर वार: उधमपुर में सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

क्या हुआ उधमपुर में? 24 अप्रैल 2025 की सुबह, जम्मू-कश्मीर के उधमपुर