पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा
पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की है। इस बार मौका था सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग, जो एक प्रतिष्ठित सुरक्षा सम्मेलन है।
यहां पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने कश्मीर को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की मुख्य जड़ बताया और इसके समाधान के लिए वैश्विक हस्तक्षेप की मांग की।
यह कोई पहली बार नहीं है। पाकिस्तान की ओर से इस तरह की पहल पहले भी होती रही है, लेकिन हालिया घटनाओं—विशेष रूप से भारत के ऑपरेशन सिंधूर—के बाद यह सक्रियता और तेज़ हो गई है।
शांगरी-ला डायलॉग में जनरल मिर्जा का बयान
इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में जनरल मिर्जा ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया:
- कश्मीर को भारत-पाक विवाद का मूल कारण बताया।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार समाधान की मांग की।
- कहा कि कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता जरूरी है।
- अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन, तुर्की और यूएई को संभावित मध्यस्थों के रूप में सुझाया।
- चेतावनी दी: “अगर विवाद का हल नहीं निकला, तो दक्षिण एशिया में विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।”
पाकिस्तान की रणनीति: वैश्विक ध्यान कैसे खींचना?
जनरल मिर्जा ने अपने भाषण में कश्मीर को ऐसा अंतरराष्ट्रीय विवाद बताया, जिसे सुलझाने के लिए पूरी दुनिया की भूमिका जरूरी है। उन्होंने कहा:
“कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किए बिना इस क्षेत्र में स्थायी शांति नहीं आ सकती।”
पाकिस्तान लंबे समय से तीसरे पक्ष को इस विवाद में शामिल करने की कोशिश करता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में, भारत की बढ़ती सैन्य और कूटनीतिक सक्रियता को देखते हुए, पाकिस्तान की यह कोशिशें और आक्रामक हो गई हैं।
भारत का रुख: कश्मीर है द्विपक्षीय मामला
भारत ने पाकिस्तान की इस कोशिश को सख्ती से खारिज कर दिया है। भारत की नीति इस मामले में स्पष्ट और स्थिर रही है:
- कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है।
- पाकिस्तान से कोई भी वार्ता आतंकवाद खत्म होने की शर्त पर ही संभव है।
- किसी तीसरे पक्ष की कोई आवश्यकता नहीं है।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह रुख दोहराया है कि बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद को शह देना बंद करे और विश्वास-निर्माण के लिए ठोस कदम उठाए।
पाकिस्तान की बढ़ती सक्रियता: क्या हैं वजहें?
हाल ही में पाकिस्तान के नेता और सैन्य अधिकारी लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठा रहे हैं। इसके पीछे कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:
- भारत की आक्रामक सैन्य नीति, जैसे ऑपरेशन सिंधूर।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की गिरती साख को सुधारने का प्रयास।
- आंतरिक राजनीतिक दबावों से ध्यान भटकाना।
क्या दुनिया करेगी हस्तक्षेप?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वैश्विक शक्तियाँ पाकिस्तान की इस मांग पर ध्यान देंगी?
पाकिस्तान की कोशिशें अधिकतर प्रोपेगेंडा और अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचने तक सीमित रही हैं।
अब तक अधिकांश वैश्विक ताकतें भारत के इस रुख से सहमत रही हैं कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
अमेरिका, रूस और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों ने भी तीसरे पक्ष की भूमिका को अस्वीकार किया है।