बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अगर हर मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप करना है, तो संसद और विधानसभाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता। उनके इन बयानों ने एक बार फिर राजनीतिक बहस को गर्मा दिया है।
क्या बोले निशिकांत दुबे?
दुबे का गुस्सा तमिलनाडु के राज्यपाल और सरकार के बीच चल रहे विवाद को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि राज्यपाल को तीन महीने के भीतर बिलों पर फैसला करना चाहिए। इस पर दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं को लांघ रहा है। अगर हर चीज के लिए कोर्ट ही फैसला करेगा, तो विधायिका का क्या मतलब रह जाता है? इसे बंद कर देना चाहिए।”
उन्होंने यहां तक कहा कि “देश में धार्मिक तनाव फैलाने में भी सुप्रीम कोर्ट की भूमिका रही है”, जिससे उनके बयान पर और विवाद खड़ा हो गया।
कौन हैं निशिकांत दुबे?
- जन्म: 28 जनवरी 1969, भागलपुर (बिहार)
- शिक्षा: एमबीए, पीएचडी (ग्रामीण गरीबी पर शोध)
- राजनीति से पहले: ESSAR ग्रुप में कॉरपोरेट हेड
- विवाह: अनामिका गौतम (बचपन की दोस्त, लव मैरिज)
- संसदीय सीट: झारखंड की गोड्डा सीट से 4 बार सांसद

विवादों का पिटारा
- महुआ मोइत्रा vs कैश फॉर क्वेरी
- दुबे ने TMC सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया कि वह पैसे लेकर संसद में सवाल पूछती हैं।
- मोइत्रा ने जवाब में दुबे की डिग्री को फर्जी बताया, जिसे दुबे ने खारिज किया।
- सुप्रीम कोर्ट vs संसद
- दुबे का मानना है कि न्यायपालिका को विधायिका के काम में दखल नहीं देना चाहिए।
- उनके बयान के बाद BJP ने खुद को दूर कर लिया, जिससे सवाल उठे कि क्या पार्टी उनके विचारों से सहमत नहीं?
- “मैं विवाद नहीं करता, विवाद मेरे साथ हो जाता है”
- दुबे का कहना है कि वे सीधे-सपाट बोलते हैं, जिससे उनके बयान अक्सर हंगामा खड़ा कर देते हैं।
क्या है आगे की रणनीति?
- BJP अभी तक दुबे के बयानों पर मौन है, जिससे लगता है कि पार्टी इस मुद्दे पर दूरी बनाना चाहती है।
- विपक्ष ने हमला बोलते हुए कहा है कि BJP न्यायपालिका को कमजोर करना चाहती है।
- दुबे की स्टाइल “कॉरपोरेट-पॉलिटिक्स मिक्स” वाली है, जहां वे सीधे अटैक करने से नहीं हिचकिचाते।
निष्कर्ष
निशिकांत दुबे बीजेपी के उन नेताओं में से हैं जो मीडिया और विपक्ष के निशाने पर रहते हैं। उनका आक्रामक रुख कई बार पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर देता है, लेकिन उनकी जमीनी पकड़ और सीधी बोलने की आदत उन्हें BJP के अंदर एक अलग पहचान देती है।
अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट के बयान के बाद BJP उन्हें सपोर्ट करती है या दूरी बनाती है।
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