BY: MOHIT JAIN
हर साल 22 जुलाई को भारत राष्ट्रीय ध्वज दिवस (National Flag Day) मनाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब 1947 में संविधान सभा ने तिरंगे को भारत के आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तिरंगे के पीछे एक लंबा इतिहास, कई बदलाव और गहरी सोच छिपी है? आइए जानें तिरंगे की उत्पत्ति, डिजाइन, रंगों का महत्व और अशोक चक्र की 24 तीलियों का छिपा हुआ अर्थ।
तिरंगे का डिजाइन किसने बनाया?
भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ को डिजाइन करने का श्रेय पिंगली वेंकैया को जाता है। वे आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और भूगोलशास्त्री थे।
1916 में उन्होंने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो भारत की विविधता को एक सूत्र में बांध सके।
1921 में गांधी जी को दिखाया गया पहला डिजाइन
वेंकैया ने विजयवाड़ा में हुए कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी को अपना डिजाइन प्रस्तुत किया जिसमें:
- लाल और हरे रंग की पट्टियाँ थीं (हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लिए)
- गांधी जी ने सुझाव दिया कि सफेद रंग और चरखा जोड़ा जाए
इस तरह, केसरिया, सफेद, और हरे रंग वाला प्रारंभिक तिरंगा बना, जिसमें केंद्र में चरखा था।
तिरंगे की ऐतिहासिक यात्रा (1906–1947)
तिरंगे का मौजूदा स्वरूप कई चरणों और बदलावों का नतीजा है। इसकी यात्रा इस प्रकार रही:
1906 — कोलकाता में पहला गैर-आधिकारिक ध्वज

- भगिनी निवेदिता द्वारा डिज़ाइन
- हरा, पीला, लाल रंग
- प्रतीक: कमल, सूरज और चंद्रमा
1907 — मैडम भीकाजी कामा का ध्वज

- स्टटगार्ट (जर्मनी) में फहराया गया
- रंग: नारंगी, पीला, हरा
1917 — एनी बेसेंट और तिलक का ध्वज

- 5 लाल और 4 हरी पट्टियाँ
- सप्तऋषि तारामंडल और अर्धचंद्र
1931 — पिंगली वेंकैया का संशोधित स्वरूप

- कांग्रेस द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाया गया
- चरखा को केंद्र में स्थान
22 जुलाई 1947 — तिरंगा बना राष्ट्रीय ध्वज

- चरखे की जगह अशोक चक्र को शामिल किया गया
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया
तिरंगे के रंगों और प्रतीकों का अर्थ
रंग/प्रतीक | अर्थ |
---|---|
केसरिया | साहस, त्याग, आध्यात्मिकता |
सफेद | शांति, सच्चाई, एकता |
हरा | समृद्धि, कृषि, प्रकृति |
अशोक चक्र | 24 तीलियों वाला धर्म चक्र, जो प्रगति और जीवन की गति का प्रतीक है |
अशोक चक्र की 24 तीलियों का मतलब
तिरंगे के बीच में बना नीला अशोक चक्र सिर्फ एक डिजाइन नहीं, बल्कि 24 गुणों का प्रतीक है जो जीवन और समाज को आदर्श बनाते हैं:
- प्रेम
- साहस
- धैर्य
- शांति
- दया
- उदारता
- विश्वास
- नम्रता
- सत्य
- ज्ञान
- न्याय
- करुणा
- उत्साह
- सेवा
- शुद्धता
- सहनशीलता
- ईमानदारी
- परोपकार
- विनम्रता
- आशा
- संयम
- अहिंसा
- बलिदान
- कर्तव्य
ये तीलियां हमें निरंतर प्रगति और आत्मचिंतन की प्रेरणा देती हैं।
तिरंगा किस कपड़े से बनता है?
- अनुपात: लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2
- कपड़ा: खादी, सूती या सिल्क — जो महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक है
- निर्माण: भारत सरकार द्वारा अधिकृत संस्थानों द्वारा ही
राष्ट्रीय ध्वज दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?
22 जुलाई 1947 को जब तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे संविधान सभा में प्रस्तुत करते हुए कहा:
“यह तिरंगा हमें गौरव, ऊर्जा और स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है।”
अब आम नागरिक भी फहरा सकते हैं तिरंगा
2002 में हुए बदलाव के बाद, कोई भी भारतीय नागरिक अपने घर पर तिरंगा फहरा सकता है — बशर्ते वह भारतीय ध्वज संहिता का पालन करे।
उदाहरण:
- तिरंगा कभी फटा या गंदा नहीं होना चाहिए
- जमीन पर नहीं रखना चाहिए
- रात में फहराना है तो पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए
तिरंगा सिर्फ झंडा नहीं, हमारी आत्मा है
राष्ट्रीय ध्वज दिवस केवल एक तारीख नहीं, यह दिन हमें याद दिलाता है कि तिरंगा सिर्फ तीन रंगों का कपड़ा नहीं — बल्कि हमारी आजादी, आत्मा और एकता का प्रतीक है।
हर बार जब हम तिरंगे को सलाम करते हैं, हम उन हजारों बलिदानों, मूल्यों और सिद्धांतों को सम्मान देते हैं, जिन्होंने भारत को आज यहां तक पहुँचाया।